श्रुति आरोहन ‘तरुणा’
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मेरे पास बहुत से परेशान जातक आते है कि हमारी यह स्थिति है हम आत्महत्या कर लेंगें। पैसे नही दे सकते हैं कुंडली देख कर समस्या बताओ। अब ‘आत्मघात योग’ होगा तो जातक यह काम कर लेगा। बहुत से योग होते है इसके, लेकिन विशेष योग जिससे जाना जा सकता है कि जातक सच में यह कर सकता है। वरना कुछ भावुक व कमज़ोर हृदय के ज्योतिषी हुए तो जीवन भर ऐसे जातको के Emotional Pitch में आकर कुंडली देखते है और उपाय बताते रहते हैं। मुझे ऐसे कई अनुभव हुए है, और जिसने भी ऐसा कहा, मैने उसकी कुंडली में देखा कि यह योग बन रहा है या नहीं। योग नहीं बनता है तो डाँट कर रवाना किया है। वरना बनते रहो Emotional Fool.
कैसे बनता है यह योग
लग्नेश एवम् अष्मेश कमज़ोर या पीड़ित हो। साथ ही लग्नेश व अष्टमेश, मंगल व षष्ठेश से संबंध बनाएं तो जातक आत्मघाती होता है। लग्नेश कमज़ोर होने से बुद्धि कुंठित हो जाती है, वहीं अष्टमेश कमज़ोर हुआ तो आयु क्षीण होगी। जब यह दोनो, मृत्युकारक ग्रह मंगल व षष्ठेश से संबंध बनाएंगें तो जातक यह कृत्य कर बैठेगा।
अरिष्टनिवारक योग पे भी ध्यान दें। प्रबल चंद्र व शुभ गुरु से अंतर आयेगा। जातक लग्नेश अष्टमेश व षष्ठेश की दशा अंतरदशा में मानसिक अवसाद में जा सकता है और उसके मस्तिष्क में विचार आयेंगें, किंतु प्रयास विफल होंगें।
उपरोक्त योग होने पे उपचार नितांत आवश्यक है। जातक स्वयं या उसका परिवार कुंडली का विश्लेषण करवाकर जातक को इस कृत्य को करने से रोक सकते है। जातक स्वयं हनुमान चालिस का पाठ नित्य करे और अष्टमेश, लग्नेश, षष्ठेश कौन से ग्रह है, उसके आधार पे विचार करके जो आवश्यक होता है उसके अनुसार अलग़ अलग़ उपचार होते है। बाकि हनुमान चालिसा के अलावा महामृत्युंजय मंत्र के जाप करते रहे।