
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ,
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विभिन्न पंचांगों के अनुसार कालसर्प योग लगने की तिथियाँ अलग-अलग आ रही हैं । ज्यादातर पंचांगों में 29 मार्च 2025 को शनिदेव कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर कर रहे हैं, परंतु कुछ पंचांगों में जैसे की श्री काशी विश्वनाथ के ऋषिकेश हिंदी पंचांग के अनुसार 5 मई को 4:02 प्रातः से शनिदेव कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर करेंगे।
इस प्रकार हम कह सकते हैं शनिदेव कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर 29 मार्च 2025 से 5 मई 2025 के बीच में करेंगे। मंगल के सिंह राशि कन्या राशि में गोचर के बाद यह कालसर्प योग समाप्त होगा। अधिकांश पंचांगो में यह गोचर 28 जुलाई को हो रहा है, परंतु ऋषिकेश पंचांग में यह 1 अगस्त 2025 तक होगा।
इसके अनुसार कुंडली कालसर्प योग 29 मार्च 2025 से लेकर से लेकर 28 जुलाई 2025 तक या अधिकतम 1 अगस्त 2025 तक है।
अधिकांश विद्वान भारत के स्वतंत्रता का समय 15 अगस्त की रात 12:00 बजे को लेते हैं, परंतु वैदिक शास्त्रों के अनुसार इस तरह का कार्य रात में होना संभव नहीं है। क्योंकि जब तक कोई क्रिया नहीं होगी, तब तक हम भारतवर्ष को स्वतंत्र नहीं कह सकते हैं। क्रियाएं अगले दिन प्रातः अर्थात 15 अगस्त को प्रातः 9:00 बजे प्रारंभ हुई है। अतः मैंने इसी समय के अनुसार भरपूर रिसर्च कर भारत की कुंडली बनाई। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस कुंडली से मैंने जो भी भविष्यफल किए हैं वह सभी पूर्णतया सत्य निकले हैं। जैसे कि मैंने कहा था कि 13 फरवरी 2021 को गलवान घाटी से चीन के सेना वापस होंगी और ऐसा ही हुआ।
वर्तमान कालसर्प योग के प्रभाव तीन प्रकार से होंगे
कालसर्प योग का पहला प्रभाव पूरे विश्व पर होगा और इसे विश्व के परिपेक्ष में आकलन कर मैं आपको बताने का प्रयास करूंगा।
कालसर्प योग का दूसरा प्रभाव सभी देशों पर अलग-अलग भी होगा। भारत के परिपेक्ष में मैं इस संबंध में परीक्षण कर आपको बताऊंगा।
कालसर्प योग का तीसरा प्रभाव विभिन्न व्यक्तियों पर होगा, विशेष रूप से उन पर होगा जो की कालसर्प योग से पहले से ही ग्रसित हैं। राशियों पर कालसर्प योग का प्रभाव जानने के लिए क्लिक करें।
विश्व पर कालसर्प योग का क्या होगा प्रभाव
विश्व के बारे में चर्चा करने के लिए काल पुरुष की कुंडली को आधार बनाया जाता है। काल पुरुष की कुंडली का लग्न मेष राशि का होता है। इस समय मेष लग्न की कुंडली में चंद्रमा को छोड़कर बाकी सभी ग्रह 12वें भाव से लेकर छठे भाव के बीच में है। चंद्रमा बीच-बीच में कालसर्प योग के बाहर भी भ्रमण करेगा। राहु 12वें भाव में है और केतु छठे भाव में है। इस स्थिति में 18 मई को परिवर्तन होगा। 18 मई को राहु मीन राशि से कुंभ राशि में भ्रमण करेंगे। तब राहु एकादश भाव में और केतु पंचम भाव में रहेंगे और इसी के बीच में चंद्रमा को छोड़कर बाकी सभी ग्रह रहेंगे। चंद्रमा बीच-बीच में कालसर्प योग के बाहर होगा, परंतु इसके कारण कोई बड़ा परिवर्तन होना संभव नहीं है। यह कालसर्प योग की दूसरी अवस्था होगी पहले हम पहली अवस्था का की विवेचना करते हैं।
कालसर्प योग में राहु जब 12वें भाव में होता है तथा केतु छठे भाव में होता है तो इस कालसर्प योग को शेषनाग कालसर्प योग कहते हैं। इस योग ने प्रारंभ होते ही अपना असर दिखाना प्रारंभ कर दिया है तथा अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल को टेरिफ लगाया जाना इसी योग का परिणाम है। इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा पूर्ण प्रयास करने पर भी रूस और यूक्रेन तथा इसराइल और मुस्लिम चरमपंथियों के बीच में संधि नहीं हो पाई है। इस स्थिति में अभी और भी दुखद परिणाम आना जारी रहेगा।
शेषनाग कालसर्प योग में यह कहा गया है की व्यक्ति के आंख का ऑपरेशन भी होगा अर्थात काल पुरुष की बाई आंख जिसे विश्व का बांयां हिस्सा मान सकते हैं मैं काफी खून खराब होने की उम्मीद रहेगी। इस प्रकार या संभव है कि रूस और यूक्रेन की युद्ध के अलावा कुछ और भी लड़ाइयां इस क्षेत्र में हों। भारत को चाहिए की अवधि में वह पाकिस्तान और चीन से सतर्क रहे।
18 जून केउपरांत विश्व विषाक्त कालसर्प योग के प्रभाव में आएगा। यह अवधि शेषनाग कालसर्प योग से भी खतरनाक होगी। इस अवधि में युद्ध का विस्तार होगा। पूरा विश्व परेशान रहेगा। दोनों अवधि को मिलाकर देखने से यह निश्चित है कि विश्व के एक बहुत बड़े महापुरुष या राजनेता की मृत्यु होगी।
भारत पर कालसर्प योग का क्या होगा प्रभाव
अब हम इसे भारत के परिपेक्ष में देखते हैं। मेरे द्वारा रिसर्च कर बनाई गई भारत के स्वतंत्रता की कुंडली कन्या राशि की है। इसमें नवम भाव में राहु में तथा तीसरे भाव में केतु विराजमान है सभी ग्रह इन्हीं दोनों ग्रहों के बीच में है। इस कालसर्प योग को शंखनाद कालसर्प योग कहते हैं। अगर यह अवधि साढ़ेसाती की भी हो तो यह कालसर्प योग और खतरनाक हो जाता है। भारत की स्वतंत्रता भी साढ़ेसाती के दौरान ही हुई थी तथा इसके कारण ही भारत का पाकिस्तान से जनवरी 1949 तक लगातार संग्राम चला था।
मेरे द्वारा रिसर्च कर बनाई गई भारत की कुंडली के अनुसार राहु सप्तम भाव में है तथा लग्न में केतु है। बाकी सभी ग्रह इन दोनों के बीच में हैं। इस कालसर्प योग को तक्षक कालसर्प योग कहते हैं। इससे प्रभावित जातक को घरेलू दुख, अनेक शत्रु, धन की हानि आदि से पीड़ित होना पड़ता है। अगर इसे हम एक देश के परिपेक्ष में देखें तो भारत में घरेलू परेशानियां बहुत ज्यादा बढ़ेगी। जो की वर्तमान में दिखाई भी दे रहा है। एक वर्ग द्वारा लगातार केंद्रीय कानून को न मानने की घोषणा तथा वक्फ बोर्ड पर एक वर्ग द्वारा लगातार आंदोलन इसका परिचायक है। इस तरह के कृत्यों में लगातार वृद्धि होगी।
18 मई के उपरांत छठे भाव में राहु था 12वें भाव में केतु आ जाएंगे। इस कालसर्प योग को महापद्म कालसर्प योग कहते हैं। इस समयावधि में भारत को कई संधियों में असफल होना पड़ेगा। शत्रुओं से बार-बार लड़ाई झगड़ा होगा। अर्थात पाकिस्तान और चीन तथा बांग्लादेश के तरफ से लगातार कुछ ना कुछ होता रहेगा। कश्मीर में आतंकवादियों का बार-बार आक्रमण होगा। कश्मीर में तथा देश में आतंकवादी घटनाओं की वृद्धि होगी।
इन दोनों कालखंडों को मिलाकर भी कुछ असर होंगे क्योंकि इस पूरी अवधि में राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा रहेगी। 20 में तक राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा में गुरु का प्रत्यंतर होगा क्योंकि जिसके कारण धन हानि संभव है। इसके उपरांत राहु की महादशा में राहु के अंतर्दशा में शनि का प्रत्यंतर चलेगा जो कि ज्यादा खतरनाक होगा। इस पूरी अवधि अर्थात कालसर्प योग की अवधि में भारत के एक बहुत बड़े राजनेता या एक बहुत बड़े महामानव की मृत्यु भी होगी।