पतित पावनी माँ नर्मदा की जयंती माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी के घाटों में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ता है और वे माँ के दर्शन कर आशीर्वाद पाते हैं।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥
मत्स्य पुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है- कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है और कुरुक्षेत्र में सरस्वती, परन्तु गांव हो चाहे वन, नर्मदा सर्वत्र पवित्र है। यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।
पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि गुरुवार 15 फरवरी 2024 को सुबह 10:12 बजे आरंभ होगी और शुक्रवार 16 फरवरी को सुबह 8:54 बजे सप्तमी तिथि का समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार नर्मदा जयंती शुक्रवार 16 फरवरी को मनाई जाएगी।
नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी पर स्नान करने के बाद माँ नर्मदा नदी के तट पर फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम आदि से पूजन करना चाहिए। इस दिन नर्मदा नदी में 11 आटे के दीप जलाने चाहिए और उनका दीपदान करना चाहिए। यह बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।