Saturday, December 21, 2024
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माघ गुप्त नवरात्रि में करें माँ भगवती के इन विशेष मंत्रों का जाप, हर मनोकामना होगी पूरी

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया
सागर, मध्य प्रदेश- 470004
व्हाट्सएप- 8959594400

हमारे सनातन धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है नवरात्रि दो तरह की होती हैं पहले प्रकट नवरात्रि और दूसरी गुप्त नवरात्रि। गुप्त नवरात्रि प्रत्येक वर्ष माघ और आषाढ़ के महीने में मनाई जाती है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक  9 दिन माँ भगवती की उपासना की जाती है, इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं में माँ काली देवी, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। इस वर्ष पंचांग के अनुसार माघ माह की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी 2024 से प्रारंभ हो रही है और 18 फरवरी 2024 तक यह पर्व काल चलेगा।

घटस्थापना शुभ मुहूर्त

घटस्थापना शनिवार 10 फरवरी 2024 को सुबह 6 बजे से 11 बजे तक शुभ रहेगा। इस समय घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है बाकी समय भी मध्यम शुभ रहेगा। मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय माँ दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।

गुप्त नवरात्रि के दौरान घट स्थापना उसी तरह की जाती है, जिस तरह से चैत्र और शारदीय नवरात्रि में होती है। सुबह-शाम की पूजा में माँ को लौंग और बताशे का भोग लगाना आवश्यक होता है। इसके बाद माँ को श्रंगार का सामान जरूर अर्पित करें। सुबह और शाम दोनों समय पर दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। गुप्त नवरात्रि की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है और इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।

गुप्त नवरात्रि में इन 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। आप सभी को चाहिए कि दस महाविद्याओं की साधना करे साथ मे दस देवियों के मंत्र का जाप करे या ब्राह्मणों से कराएं।   गुप्त नवरात्रि में शक्ति की उपासना की जाती है ताकि जीवन तनाव मुक्त रहे। माना जाता है कि इस दौरान माँ शक्ति के खास मंत्रों के जाप से किसी भी समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।

गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन माता काली की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन माँ काली की उपासना करने से शत्रुओं का असर जीवन पर कम हो जाता है और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। साथ ही सभी प्रकार के भय और रोग से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। इस दिन कम से कम 108 बार ‘ॐ क्रीं कालिके स्वाहा’ मंत्र का जाप जरूर करें।

दस महाविद्याओं में दूसरे स्थान पर तारा माता की उपासना की जाती हैं। इन्हें तारिणी के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन तारा माता की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट’ मंत्र का 1 माला जाप करें।

तीसरे दिन माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा करने से भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह अपने भक्तों को सुंदरता, सौभाग्य और अन्य सांसारिक सुखों का आशीर्वाद भी देती हैं। गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:’ मंत्र का जाप जरूर करें।

गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माँ भुवनेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता की उपासना करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पलक झपकते ही पूरी कर देती हैं। उनकी पूजा नाम, प्रसिद्धि, वृद्धि और समृद्धि के लिए उनकी पूजा की जाती है। इस विशेष दिन पर ‘ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्ये नम:’ मंत्र का जाप करें।

दस महाविद्वाओं में पांचवे स्थान पर माता भैरवी हैं, जिनकी उपासना गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है। माता भैरवी एक शत्रुओं की विनाशिनी है। इनकी उपासना करने से साधक को विजय, रक्षा, शक्ति और सफलता आदि की प्राप्ति होती है। इस दिन ‘ॐ ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।

गुप्त नवरात्रि पर्व के छठे दिन माँ छिन्नमस्ता की विधिपूर्वक उपासना की जाती है। मान्यता है कि माँ की पूजा करने से आत्म-दया, भय से मुक्ति और स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायता मिलती है। साथ शत्रुओं को परास्त करने, करियर में सफलता, नौकरी में तरक्की और कुंडली जागरण के लिए माँ छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। इस दिन ‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करें।

माता धूमावती की उपासना दस महाविद्वाओं में सातवें स्थान पर की जाती है। इन्हें मृत्यु की देवी भी कहा जाता है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन माता धूमावती की उपासना करने से कई प्रकार के दुख व दुर्भाग्य से राहत मिलत है और ज्ञान, बुद्धि व सत्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन ‘ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्’ मंत्र का जाप प्रभावशाली माना जाता है।

गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन माता बगलामुखी की पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता बगलामुखी की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती और उनसे सुरक्षा मिलती है। कहा यह भी जाता है कि देवी शत्रुओं को पंगु बना देती हैं। इस दिन ‘ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

दस महाविद्वाओं में नौवें स्थान पर माता मातंगी हैं। जिन्हें तांत्रिक सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन देवी की उपासना करने से साधक को गुप्त विद्याओं की प्राप्ति होती है। ज्ञान में विकास होता है। इस विशेष दिन पर ‘ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप जरूर करें।

गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना का विधान है। उन्हें ‘तांत्रिक लक्ष्मी’ की संज्ञा भी दी गई है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में आ रहे सभी दुखों का नाश होता है। इस दिन ‘ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें।

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