Tuesday, January 28, 2025
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माघ गुप्त नवरात्रि 2025: तिथियां, घट स्थापना का शुभ मुहूर्त एवं दस महाविद्याओं की उपासना के मंत्र

हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए माँ दुर्गा की आराधना के महापर्व नवरात्रि का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। नवरात्रि दो तरह की होती हैं, पहली प्रगट नवरात्रि और दूसरी गुप्त नवरात्रि। दोनों प्रकार की नवरात्रि वर्ष में दो बार मनाई जाती है इस प्रकार वर्ष में चार बार नवरात्रि मनाने का विधान है। इस बार वश 2025 में माघ मास की गुप्त नवरात्रि गुरुवार 30 जनवरी 2025 से आरंभ हो रही है।

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रगट नवरात्रि में माँ दुर्गा की प्रगट रूप से अर्थात सार्वजनिक रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। जबकि गुप्त नवरात्रि में माँ काली एवं दस महाविद्या की पूजा गुप्त रूप से करने का विधान है। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रि की पूजा में तांत्रिक साधक अघोरी आदि तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्त करने के लिए गुप्त साधना करते हैं। सामान्य जन भी गुप्त रूप से माता की आराधना कर अपने सभी संकटों के निवारण का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

हम सभी जानते हैं कि विक्रम संवत का प्रारंभ उत्तर भारत में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की परिवा से होता है और इस प्रकार चैत्र मास की नवरात्रि हमारे लिए नव वर्ष के आगमन का पर्व है। इसके 3 महीने बाद अर्थात आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की परिवा से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होती है। अगले 3 महीने बाद अर्थात अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि पर्व प्रारंभ होता है। इसके बाद 3 महीने बाद माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि आती है।

माघ गुप्त नवरात्रि का आरंभ

माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ बुधवार 29 जनवरी 2025 को शाम 6:05 बजे होगा वहीं प्रतिपदा तिथि का समापन गुरुवार 30 जनवरी 2025 को शाम 4:10 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार माघ गुप्त नवरात्रि का आरंभ गुरुवार 30 जनवरी 2025 को होगा और माघ गुप्त नवरात्रि का समापन शुक्रवार 7 फरवरी 2025 को होगा।

घट स्थापना मुहूर्त

गुरुवार 30 जनवरी 2025 को घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 9:25 बजे से 10:46 बजे तक रहेगा, इसकी अवधि 1 घण्टा 21 मिनट रहेगी। इसके बाद घट स्थापना का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:13 बजे से 12:56 बजे तक 43 मिनट की अवधि के लिए रहेगा।

माघ गुप्त नवरात्रि की तिथियां

नवरात्रि प्रतिपदा गुरुवार 30 जनवरी 2025- माँ काली

नवरात्रि द्वितीया शुक्रवार 31 जनवरी 2025- माँ तारा

नवरात्रि तृतीया शनिवार 1 फरवरी 2025- माँ त्रिपुर सुंदरी

नवरात्रि चतुर्थी रविवार 2 फरवरी 2025- माँ भुवनेश्वरी

नवरात्रि पंचमी रविवार 2 फरवरी 2025- माँ भैरवी

नवरात्रि षष्ठी सोमवार 3 फरवरी 2025- माँ छिन्नमस्ता

नवरात्रि सप्तमी मंगलवार 4 फरवरी 2025- माँ धूमावती

नवरात्रि अष्टमी बुधवार 5 फरवरी 2025- माँ बगलामुखी

नवरात्रि नवमी गुरुवार 6 फरवरी 2025- माँ मातंगी

नवरात्रि दशमी शुक्रवार 7 फरवरी 2025- माँ कमला

पौराणिक मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। गुप्त नवरात्रि के दौरान घट स्थापना उसी तरह की जाती है, जिस तरह से चैत्र और शारदीय नवरात्रि में होती है। सुबह-शाम की पूजा में माँ को लौंग और बताशे का भोग लगाना आवश्यक होता है। इसके बाद माँ को श्रृंगार का सामान जरूर अर्पित करें। सुबह और शाम दोनों समय पर दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें।

ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पाण्डेय ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के दौरान माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। इन्हें दस महाविद्या भी कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन माता काली की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन माँ काली की उपासना करने से शत्रुओं का असर जीवन पर कम हो जाता है और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। साथ ही सभी प्रकार के भय और रोग से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। इस दिन कम से कम 108 बार ‘ॐ क्रीं कालिके स्वाहा’ मंत्र का जाप जरूर करें।

दस महाविद्याओं में दूसरे स्थान पर तारा माता की उपासना की जाती हैं। इन्हें तारिणी के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन तारा माता की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट’ मंत्र का 1 माला जाप करें।

तीसरे दिन माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा करने से भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह अपने भक्तों को सुंदरता, सौभाग्य और अन्य सांसारिक सुखों का आशीर्वाद भी देती हैं। गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:’ मंत्र का जाप जरूर करें।

गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माँ भुवनेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता की उपासना करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पलक झपकते ही पूरी कर देती हैं। उनकी पूजा नाम, प्रसिद्धि, वृद्धि और समृद्धि के लिए उनकी पूजा की जाती है। इस विशेष दिन पर ‘ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्ये नम:’ मंत्र का जाप करें।

दस महाविद्वाओं में पांचवे स्थान पर माता भैरवी हैं, जिनकी उपासना गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है। माता भैरवी एक शत्रुओं की विनाशिनी है। इनकी उपासना करने से साधक को विजय, रक्षा, शक्ति और सफलता आदि की प्राप्ति होती है। इस दिन ‘ॐ ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।

गुप्त नवरात्रि पर्व के छठे दिन माँ छिन्नमस्ता की विधिपूर्वक उपासना की जाती है। मान्यता है कि माँ की पूजा करने से आत्म-दया, भय से मुक्ति और स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायता मिलती है। साथ शत्रुओं को परास्त करने, करियर में सफलता, नौकरी में तरक्की और कुंडली जागरण के लिए माँ छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। इस दिन ‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करें।

माता धूमावती की उपासना दस महाविद्वाओं में सातवें स्थान पर की जाती है। इन्हें मृत्यु की देवी भी कहा जाता है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन माता धूमावती की उपासना करने से कई प्रकार के दुख व दुर्भाग्य से राहत मिलत है और ज्ञान, बुद्धि व सत्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन ‘ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्’ मंत्र का जाप प्रभावशाली माना जाता है।

गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन माता बगलामुखी की पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता बगलामुखी की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती और उनसे सुरक्षा मिलती है। कहा यह भी जाता है कि देवी शत्रुओं को पंगु बना देती हैं। इस दिन ‘ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

दस महाविद्वाओं में नौवें स्थान पर माता मातंगी हैं। जिन्हें तांत्रिक सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन देवी की उपासना करने से साधक को गुप्त विद्याओं की प्राप्ति होती है। ज्ञान में विकास होता है। इस विशेष दिन पर ‘ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप जरूर करें।

गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना का विधान है। उन्हें ‘तांत्रिक लक्ष्मी’ की संज्ञा भी दी गई है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में आ रहे सभी दुखों का नाश होता है। इस दिन ‘ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें।

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