कुछ वर्ष पहले मैं अमेरिका के दौरे पर गया था। वहां पर गूगल के मुख्यालय के पास ही रूका हुआ था। प्रातःकालीन भ्रमण के दौरान मैंने देखा कि कुछ वाहनों के ऊपर एक शिवलिंग की आकृति बनी हुई है। प्रारंभ में मैंने समझा कि शायद यह किसी हिंदू संस्था के वाहन होंगे। मैंने वाहनों के बारे में वहां के स्थानीय लोगों से पूछताछ की तो मालूम चला कि गूगल कंपनी के वाहन हैं और इनकी टेस्टिंग ड्राइवर के बगैर चलने वाले वाहन के रूप में की जा रही है। ऊपर जो शिवलिंग दिख रहा है यह उस वाहन का एंटीना है। लोगों ने मुझे यह भी बताया कि इस आकृति से तरंगे सबसे तेज और सभी दिशाओं में हर तरफ निकलती हैं।
मैंने तब शिवलिंग का वैज्ञानिक महत्व समझा, शिवलिंग वह आकार है जो अपने सभी तरफ दसों दिशाओं में धनात्मक ऊर्जा को भेजता है। दूसरी कोई आकृति इतनी सफलता से धनात्मक ऊर्जा को हर तरफ नहीं बिखेर सकती है। अगर आप केवल शिवलिंग के पास जाएं और भगवान शिव का ध्यान करें तो आप पाएंगे कि आपके अंदर ऊर्जा का स्त्रोत अपने आप समाहित हो जाएगा। हमारे ऋषि-मुनियों ने इस बात को बहुत पहले समझ लिया था और उन्होंने शिवलिंग का पूजन करना प्रारंभ किया।
शिव शब्द का अर्थ है वह जो नहीं है अर्थात जो कुछ हमें दिखता है जैसे पृथ्वी चंद्रमा आदि इन सब को छोड़ कर के जो खाली स्थान है वह सब शिव है। जब कुछ भी नहीं था तब भी शिव थे आज भी शिव हैं और जब कुछ भी नहीं रहेगा तब भी शिव रहेंगे। भगवान शिव के कई नाम है जिनमें मुख्य है रूद्र, पशुपतिनाथ, अर्धनारीश्वर, नटराज, महाकाल, लिंगम महादेव, देवाधिदेव, भोलेनाथ आदि। भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत है और यह एकमात्र ऐसी जगह है, जहां पर आज तक कोई भी पर्वतारोही नहीं जा पाया है। इस पर्वत की आकार भी शिवलिंग जैसी ही है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग विश्व प्रसिद्ध है इसके अलावा ऐसे चार स्थान और हैं जोकि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।
पहला स्थान है कैलाश पर्वत यहां पर भगवान शिव का निवास माना जाता है। दूसरा स्थान है कांति सरोवर यह स्थान गढ़वाल में है और यहां भगवान शिव ने अपने पहले 7 शिष्यों अर्थात सप्त ऋषियों को योग प्रदान किया था। तीसरा स्थान है काशी यह उत्तर प्रदेश में है तथा यह शिवजी की अपनी नगरी है। चौथा स्थान है वेलिंगिरी। यह स्थान दक्षिण का कैलाश पर्वत कहलाता है। जब भगवान शिव जब वहां पहुंचे थे तो अत्यंत क्रोधित थे। खुद को शांत करने के लिए पहाड़ पर चढ़ गए और वहां बैठ गए। उनकी ऊर्जा अभी भी इन शिखरों पर मौजूद है।
भगवान शिव के पूजन में शिवरात्रि का विशेष महत्व है। उसमें भी महाशिवरात्रि का। यह आध्यात्मिक रूप से प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात है। शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में दिनभर जलाभिषेक होता है। महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के बारे में कहा जाता है कि यह भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य का दिन है। ज्योतिर्लिंग वह शिवलिंग होता है जिसका न तो आदि है और ना ही अंत। ब्रह्मा जी भी इस शिवलिंग के अंत को खोजने में असफल है। भगवान विष्णु भी इसके आधार को खोजने की कोशिश की है परंतु असफल रहे। महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव की माँ पार्वती से शादी हुई थी। इसी दिन शिव जी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।
अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह समय शिवलिंग के चारों तरफ अधिकतम ऊर्जा प्रसार का समय है। इस समय पर आकर सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल नाम का विष भी निकला था। भगवान शिव ने उस विष को अपने कंठ में जहां धारण किया थ । उनका कंठ जिसके कारण नीला हो गया था। उपचार के लिए भगवान शिव को सलाह दी गई कि वे रात भर जागरण करें। भगवान शिव को जगाने के लिए अलग-अलग नृत्य और संगीत हुए। वह रात्रि महाशिवरात्रि की रात थी।
शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि की पूजा में सिंदूर, बेर, बेल का पत्ता, फल जलती धूप, दीपक और पान के पत्ते का विशेष महत्व है। परंतु शिवजी के अभिषेक में तुलसी के पत्ते हल्दी चंपा और केतकी के फूल का प्रयोग वर्जित है। शिवलिंग का रुद्राभिषेक पानी दूध और शहद के साथ किया जाता है। शिवलिंग सामान्यतया मिट्टी रेत गाय के गोबर लकड़ी पत्थर पीतल संगमरमर या काले ग्रेनाइट के बनाए जाते हैं। परंतु स्फटिक का बना हुआ शिवलिंग सबसे शुद्ध माना जाता है। इसके अलावा पारद शिवलिंग तथा नर्मदा नदी में पाए जाने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग का भी विशेष महत्व है।
जिन कन्याओं के विवाह में बाधा आ रही है। विवाह नहीं हो पा रहा है, उन्हें शिवरात्रि का व्रत आवश्यक रूप से करना चाहिए। व्रत को करने से हमें भगवान शिव का आशीर्वाद मिलेगा तथा शादी एक अच्छे से वर होगी। शिवलिंग का अभिषेक सुख समृद्धि मानसिक स्वास्थ्य मानसिक शांति दांपत्य सुख दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए कामकाज में सफलता के लिए किया जाता है। भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध महामृत्युंजय मंत्र है। महामृत्युंजय मंत्र के जाप करने से मृत्यु भी टल जाती है। इसके अलावा भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र भी अत्यंत फल देने वाला है।