Friday, October 18, 2024
Homeआस्थाभविष्य पुराण के दीपमालिकोत्सव अर्थात दीपावली के बारे में अधिकांश लोग नहीं...

भविष्य पुराण के दीपमालिकोत्सव अर्थात दीपावली के बारे में अधिकांश लोग नहीं जानते होंगे ये बातें

ज्योतिषाचार्य अनिल पाण्डेय
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
व्हाट्सएप- 8959594400

आज मैं दीपावली के बारे में कुछ ऐसी बातें आपको बताऊंगा जिनको अधिकांश लोग नहीं जानते हैं। आपको यह बात सुनकर के आश्चर्य भी होगा, क्योंकि सभी को मालूम है कि दीपावली क्यों मनाई जाती है, कैसे मनाई जाती है और कब मनाई जाती है। यह पांच त्यौहारों का त्यौहार है। ऐसा क्यों है और इसके पीछे क्या कारण है? यह सभी को ज्ञात होगा, परंतु आज मैं आपको कुछ ऐसे बिंदुओं के बारे में जानकारी दूंगा, जो अधिकांश लोगों की जानकारी में नहीं है।

दीपावली पर्व का उल्लेख सबसे पहले भविष्य पुराण, स्कंद पुराण और पद्म पुराण में मिलता है।

दीपावली पर्व के बारे में भविष्य पुराण के उत्तर पर्व के अध्याय 140 के श्लोक क्रमांक 9 में भगवान श्री कृष्णा महाराज युधिष्ठिर को दीपमालिकोत्सव के बारे में बताया है। भगवान श्री कृष्णा इस अध्याय में कहते हैं कि राजा बलि को वामन भगवान से आशीर्वाद प्राप्त हुआ था कि कार्तिक मास की अमावस्या को पूरी पृथ्वी राजा बलि की रहेगी और उस दिन इस बात की खुशी में सभी लोग दीप जलाएंगे। देश का राजा स्वयं दीप जलाकर इस बात का निरीक्षण भी करेगा।

इसके अलावा इस त्यौहार का उल्लेख स्कंद पुराण के कार्तिक मास माहात्म्य खंड में  मिलता है। इन सभी के अलावा पद्म पुराण में भी इसका उल्लेख है।

आपको ज्ञात होगा कि जनश्रुतियों के अनुसार भगवान राम के अयोध्या लौटने पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। परंतु इस बात का उल्लेख बाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण या रामचरितमानस आदि किसी ग्रंथ में नहीं है। इन ग्रंथो में भगवान श्रीरामचंद्र के आगमन पर नागरिकों द्वारा शहर के बाहर निकलकर भगवान का स्वागत करने का उल्लेख है।

सातवीं शताब्दी के भारतीय राजा हर्ष के समय भी दीपावली उत्सव का उल्लेख मिलता है।

दीपावली का त्यौहार सनातन धर्मियों हिंदू, जैन, बौद्ध और सिखों द्वारा मनाया जाता है, परंतु सभी के मानने के कारण अलग-अलग है। हिंदू धर्म के साहित्य के अनुसार दीपावली आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है।

दीपावली पर्व का प्रारंभ सागर मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि द्वारा देवी लक्ष्मी को लेकर प्रकट होने के साथ होता है। इस दिन को धनतेरस के रूप में कहा जाता है। कहते हैं कि दीपावली के दिन माता लक्ष्मी ने भगवान श्री हरि विष्णु को अपने पति के रूप में चुना था और उनसे शादी की थी। कुछ लोग इस पर्व को भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार से भी जोड़ते हैं।

जैन धर्म के मानने वालों के अनुसार 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को इसी दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी तथा इसी दिन उनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ था।

सिखों के सबसे महत्वपूर्ण मंदिर स्वर्ण मंदिर का दीपावली के दिन ही अमृतसर में सन 1577 ईस्वी में शिलान्यास हुआ था, इसके अलावा 1619 ईस्वी में दीपावली के दिन ही सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद साहब जी को जेल से रिहा किया गया था।

बौद्ध धर्म में इसे सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म स्वीकार करने की तिथि के रूप में मनाया जाता है। इस घटना को बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है और इसे दीपों के माध्यम से प्रकाश के रूप में प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाता है।

हालांकि बौद्ध धर्म में दीपावली का वैसा ही धार्मिक महत्व नहीं है जैसा हिंदू धर्म में है, लेकिन कुछ बौद्ध समुदाय इस दिन को ‘धम्म चक्र प्रवर्तन’ (धर्म का प्रचार) और अहिंसा के संदेश के रूप में मानते हैं। खासकर श्रीलंका और अन्य बौद्ध देशों में इसे शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।

इन सभी के अलावा स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ था। महर्षि दयानंद ने दीपावली के दिन अजमेर के निकट महाप्रयाण लिया था।

इसके अलावा मैं कुछ ऐतिहासिक बातें भी बताना चाहूंगा जो संभवत कम लोगों को ज्ञात होगी।

सम्राट अकबर के शासनकाल में दौलत खाने के सामने 40 गज ऊंचे बांस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था। बादशाह जहांगीर के समय भी दीपावली पर्व धूमधाम से मनाया जाता था, इनके अलावा मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर भी दीपावली को त्यौहार के रूप में मानते थे। शाह आलम द्वितीय के समय भी समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था।

आइए अब हम विश्व में दीपावली के त्यौहार के बारे में बात करते हैं-

नेपाल में दीपावली का त्यौहार 5 दिन तक भारत की तरह से ही मनाया जाता है।

मलेशिया में दीपावली के दिन सार्वजनिक अवकाश होता है तथा इस त्यौहार को वहां पर भारतीय उपमहाद्वीप के परंपराओं के अनुसार ही मनाया जाता है। 

सिंगापुर और श्रीलंका में दीपावली का त्यौहार एक राजपत्रित सार्वजनिक अवकाश है तथा इसे जगह-जगह पर मनाया जाता है।

सन 2003 में दीपावली को व्हाइट हाउस में पहली बार मनाया गया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश द्वारा 2007 में संयुक्त राज्य अमेरिका कि कांग्रेस द्वारा इस आधिकारिक दर्जा दिया गया। 2009 में बराक ओबामा द्वारा व्हाइट हाउस में व्यक्तिगत रूप से दीपावली के पर्व में भाग लिया गया। वर्ष 2009 में ही काऊबॉय स्टेडियम में दीपावली मेले का आयोजन किया गया, जिसमें 100000 से ऊपर लोगों ने भाग लिया। इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में इसे व्यापक रूप से मनाया जा रहा है।

विश्व के अन्य देशों जैसे कि मॉरीशस फिजी इंग्लैंड आदि में भी दीपावली का उत्सव काफी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

विश्व में सनातन धर्मियों की जनसंख्या जैसे-जैसे विभिन्न देशों में बढ़ रही है, वैसे-वैसे हमारी दीपावली भी जन मानस में अपना असर दिख रही है।

संबंधित समाचार

ताजा खबर