मुरादाबाद (हि.स.)। पितृ पक्ष का प्रारंभ बुधवार 18 सितंबर से होगा। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को प्रातः 11:44 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 18 सितंबर को प्रातः 8:04 बजे होगा। श्री सत्य शिव एवं शनि मंदिर के महंत पंडित कैलाश मुरारी ने बताया कि भाद्रपद चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर को होगा और उदयातिथि के आधार पर भाद्रपद पूर्णिमा का स्नान और दान 18 सितंबर को होगा। ऐसे में 18 सितंबर को ही पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा।
साल में कब-कब कर सकते हैं श्राद्ध
पंडित कैलाश मुरारी ने बताया कि एक साल की 12 अमावस्याएं, 12 संक्रांतियों, 16 दिन के पितृ पक्ष बताए गए हैं, जिनमें श्राद्ध किया जा सकता है। अगर श्राद्ध पक्ष में भी तिथि याद न होने के लिए चलते पितरों को श्रृद्धांजलि नहीं दे पा रहे हैं तो सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने से पितरों को तृप्ति मिलती है।
पितृ पक्ष का महत्व
पंडित कैलाश मुरारी ने बताया कि पितृ पक्ष हिंदुओं के लिए अपने पूर्वजों को सम्मान देने और परिवार की भलाई और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद लेने का समय है। इस अवधि के दौरान श्राद्ध अनुष्ठान करने से पूर्वजों की आत्माओं को शांति और मुक्ति मिलती है, अपने वंशजों को खुशी और सफलता का आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष की तिथियां
पंडित कैलाश मुरारी ने बताया कि पितृ पक्ष 18 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को समाप्त होगा। इस साल पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां व दिन निम्न हैं।
18 सितंबर, बुधवार: पूर्णिमा/प्रतिपदा श्राद्ध
19 सितंबर, गुरुवार: द्वितीया श्राद्ध
20 सितंबर, शुक्रवार: तृतीया श्राद्ध
21 सितंबर, शनिवार: चतुर्थी श्राद्ध
22 सितंबर, रविवार: पंचमी श्राद्ध
23 सितंबर, सोमवार:षष्ठी व सप्तमी श्राद्ध
24 सितंबर, मंगलवार: अष्टमी श्राद्ध
25 सितंबर, बुधवार: नवमी श्राद्ध
26 सितंबर, गुरुवार: दशमी श्राद्ध
27 सितंबर, शुक्रवार: एकादशी श्राद्ध
29 सितंबर, रविवार: द्वादशी श्राद्ध
30 सितंबर, सोमवार: त्रयोदशी श्राद्ध
1 अक्टूबर, मंगलवार: चतुर्दशी श्राद्ध
2 अक्टूबर, बुधवार: अमावस्या श्राद्ध (सर्व पितृ अमावस्या)