पाँच दिवसीय दीपोत्सव के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी या रूप चौदस का पर्व मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं। दीपावली रात की तरह नरक चतुर्दशी को भी दीये जलाये जाते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था। दुराचारी असुर नरकासुर का वध कर उनके बंदी गृह से सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त कराया था। तब इन कन्याओं का कहना था कि समाज अब उन्हें स्वीकार नहीं करेगा, ऐसे में कन्याओं को सम्मान प्रदान करने के लिए श्रीकृष्ण ने सत्यभामा के सहयोग से इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया। तब से आज तक नरक चतुर्दशी व छोटी दीपावाली के दिन दीयों की श्रृंखला जलाने का रिवाज है।
नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली के नाम से जाना जाता है और इसके बाद क्रमशः दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनायी जाती है। नरक चतुर्दशी के दिन नरक के देवता यम की पूजा का भी विधान है। त्रयोदशी से तीन दिन तक दीप प्रज्ज्वलित करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और ऐसा करने वाले व्यक्ति को यम यातना का भय नहीं रहता। इस दिन यमराज को तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। संध्या के समय दीपक प्रज्ज्वलित करें। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
सनातन पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ आज शनिवार 11 नवंबर को दोपहर 1:57 बजे से हो रहा है और रविवार 12 नवंबर को दोपहर 2:44 बजे समापन होगा। छोटी दिवाली के लिए प्रदोष काल 11 नवंबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए छोटी दिवाली आज शनिवार 11 नवंबर को ही मनाई जाएगी।
इस बार नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली पर 3 शुभ योग बन रहे हैं। आज प्रात:काल से ही प्रीति योग बना हुआ है, जो शाम 4:59 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से आयुष्मान योग शुरू हो जाएगा, जो अगले दिन रविवार की शाम 4:25 बजे तक रहेगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग देर रात 1:47 बजे से सुबह 6:52 बजे तक है।
इसके साथ ही आज 5:32 बजे सूर्यास्त होगा, इसके साथ ही प्रदोष काल शुरू हो जाएगा। नरक चौदस के दिन यमराज के लिए तेल का चौमुखा दीपक जलाते हैं और उसे घर से दक्षिण दिशा में रखते हैं। कई स्थानों पर यम के दीपक को नाली के पास या फिर घर के मुख्य द्वार के पास दक्षिण दिशा में रखते हैं। नरक चतुर्दशी पर यमराज पूजन और चौमुखी दीपक जलाने का शुभ समय शाम 5:40 बजे से 7:36 बजे तक है। सनातन मान्यता है कि नरक चौदस के दिन शाम को यमराज पूजन करने और दीपदान करने से परिवार के ऊपर से अकाल मृत्यु का खतरा टलता है.