सनातन संस्कृति में पर्व, त्यौहार और उत्सवों का विशेष महत्व है, भारत में लगभग हर दिन कोई न कोई उत्सव मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि सनातन धर्मावलंबियों द्वारा मनाए जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। नवरात्रि को गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही चैत्र मास से शीत ऋतु का समापन और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है।
सनातन पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है और इसी दिन से हिन्दू नव संवत्सर का भी आरंभ होता है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना विधि-विधान के साथ की जाती है।
वर्ष 2024 की चैत्र नवरात्रि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा मंगलवार 9 अप्रैल 2024 से आरंभ होगी और शुक्ल पक्ष की नवमी बुधवार 17 अप्रैल 2024 को समाप्त होगी। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और नौ दिन माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा भी कहा जाता है, इस दिन को सृष्टि का जन्मदिन भी कह सकते हैं। सनातन मान्यता है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। ये भी मान्यता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी हुई थी। मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका का सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि का आरंभ हुआ।
चैत्र नवरात्रि
प्रतिपदा मंगलवार 9 अप्रैल 2024- घटस्थापना, माँ शैलपुत्री की पूजा
द्वितीया बुधवार 10 अप्रैल 2024- माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
तृतीया गुरुवार 11 अप्रैल 2024- माँ चंद्रघंटा की की पूजा
चतुर्थी शुक्रवार 12 अप्रैल 2024- माँ कुष्मांडा की पूजा
पंचमी शनिवार 13 अप्रैल 2024- माँ स्कंदमाता की पूजा
षष्ठी रविवार 14 अप्रैल 2024- माँ कात्यायनी की पूजा
सप्तमी सोमवार 15 अप्रैल 2024- माँ कालरात्रि की पूजा
अष्टमी मंगलवार16 अप्रैल 2024- माँ महागौरी की पूजा
नवमी बुधवार17 अप्रैल 2024- माँ सिद्धिदात्री की पूजा, नवरात्रि पारणा, रामनवमी