चार माह से बंद वैवाहिक एवं मांगलिक शुभ कार्य मंगलवार 12 नवंबर देवउठनी एकादशी (देव प्रबोधनी एकादशी) को अबूझ मुहूर्त के साथ आरंभ हो जाएंगे। भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को योग निद्रा से उठेंगे। देवउठनी एकादशी को अबूझ मुहूर्त होने के कारण शहनाइयों की गूंज सुनाई देगी। मंदिरों में देवोत्थापन अनुष्ठान होंगे और ठाकुर जी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी।
पंडित रामलखन शास्त्री ने बताया कि इससे पूर्व आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को भगवान के शयन करने के कारण विवाह, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा व मुंडन जैसे वैवाहिक एवं मांगलिक कार्य नहीं हो पा रहे थे। अब देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु के जगाने पर पुन: शुभ कार्य शुरू हो सकेंगे।
देवउठनी एकादशी अबूझ मुहूर्त के बाद 22, 23, 24, 25, 26, 27 नवंबर को और दिसंबर में 5, 6, 7, 11 तारीख को विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त रहेंगे। इसके बाद 15 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही धनु मलमास प्रारंभ हो जाएगा। इस दौरान मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा।
इसके पश्चात अगले साल 2025 में 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही पुन: मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो पाएगा। देव प्रबोधनी एकादशी 12 नवंबर को है। एकादशी के साथ द्वादशी होने से यह संपूर्ण फल को प्रदान करने वाली है। 4 माह बाद भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निंद्रा से उठकर भक्तों के लिए समस्त संसार का भार ग्रहण करेंगे। इस तिथि के साथ ही वैवाहिक एवं मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।