शिव महापुराण के रूद्र संहिता के 14 वें अध्याय में पुष्पों द्वारा शिवपूजन के फल के बारे में बताया गया है। इस अध्याय में सृष्टि रचियता ब्रह्मा ने कहा है कि कमल पत्र, बेलपत्र, शत पत्र तथा शंखपुष्प से भगवान शिव की पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसके अलावा चावल और चंदन आदि सहित अखंड जल की धारा को भी चढ़ाना चाहिए।
वहीं आय के इच्छुक व्यक्ति को धतूरे के फलों से जिन की डंडी मुलायम हो, लाकर भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। प्रताप प्राप्त करने के लिए आक के पुष्प को चढ़ाना चाहिए। शत्रु के नाश के लिए जवा पुष्प से पूजन करना चाहिए और सब रोंगों को दूर करने के लिए कनेर के पुष्प से भगवान शिव का पूजन किया जाता है। इनके अलावा सुख संपत्ति पाने के लिए हरसिंगार के फूल से शिवजी की पूजा की जाती है। बड़े फल को प्राप्त करने के लिए एक लाख फूल चढ़ाने से बड़ा फल प्राप्त होगा। इनमें चम्पा और केतकी के फूल को भगवान शिव को नहीं चढ़ा सकते हैं। भगवान शिव को चावल चढाने में विशेष ध्यान रखना चाहिए। चावल अखंडित होना चाहिए।
भगवान शिव का अभिषेक
यदि शत्रु को परेशान करना है तो भगवान शिव पर तेल की धारा देनी चाहिए। घर के नित्य कलह को बंद करने के लिए भगवान शिव पर जल की धारा चढ़ाई जाती है। मधु की धारा चढ़ाने से धन प्राप्त होती है। दूध की धारा से शक्ति प्राप्त होती है।
भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का महत्व
शिव महापुराण के विद्धेश्वर संहिता के बाइसवें अध्याय के अनुसार बेल का वृक्ष भगवान महादेव का स्वरूप है। संसार की सभी तीर्थ विल्व के वृक्ष में निवास करते हैं। विल्व वृक्ष की जड़ में भगवान महादेव का सांकेतिक निवास रहता है। जो मनुष्य विल्व वृक्ष की जड़ को गंध आदि से पूजता है, वह शिवलोक को जाता है। विल्व की जड़ में दीपक जलाने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। वृक्ष के नीचे शिव भक्तों को भोजन कराना चाहिए। ऐसा करने से एक करोड़ ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल प्राप्त होता है।
भगवान शिव की पूजा में शमी पत्र का महत्व
शमी के पौधे के पत्तों को यदि शिव पूजन में सम्मलित किया जाए तो भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यदि महाशिवरात्रि के दिन आप शमी की पत्तियां चढ़ाती हैं तो आपके जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहेगी।