Saturday, December 21, 2024
Homeलोकमंचइतिहास के पन्नों में 16 फरवरीः फालके को इसलिए कहा जाता है...

इतिहास के पन्नों में 16 फरवरीः फालके को इसलिए कहा जाता है सिने संसार का ‘दादा’

देश-दुनिया के इतिहास में 16 फरवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख महान फिल्मकार दादा साहब फालके का पुण्य स्मरण कराती है। उन्होंने 16 फरवरी, 1944 को अंतिम सांस ली थी। हिंदी सिनेमा में दिलचस्पी रखने वालों में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने दादा साहब फालके का नाम नहीं सुना होगा। सिने संसार में उनका नाम अदब के साथ लिया जाता है। उन्हें भारतीय सिनेमा का पितामह भी कहा जाता है। सिनेमा को लेकर उनकी दीवानगी सातवें आसमान पर रही। उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने फिल्म बनाने के लिए अपनी पत्नी की गहने तक दांव पर लगा दिए थे। वह अपनी फिल्म की नायिका की तलाश में रेड लाइट एरिया तक पहुंच गए थे। कुछ मिलाकर कहा जाए तो फिल्मों के लिए उन्होंने वह सब किया जो सभ्य समाज की आंखों में खटकता है।

लाख मुसीबतों के बावजूद वह फिल्म बनाकर ही माने। दादा साहब का असली नाम धुंडिराज गोविंद फालके था। उनका जन्म 30 अप्रैल, 1870 में हुआ था। उनके पिता गोविंद सदाशिव फालके संस्कृत के विद्वान और पुजारी थे। साल 1913 में उन्होंने ‘राजा हरिशचंद्र’ नाम की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म बनाई थी। दादा साहब सिर्फ एक निर्देशक ही नहीं बल्कि एक जाने -माने निर्माता और पटकथा लेखक भी थे। उन्होंने 19 साल के फिल्मी करियर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट फिल्में बनाईं।

दादा साहब फालके को फिल्म बनाने का ख्याल द लाइफ ऑफ क्राइस्ट देखने के बाद आया। इस फिल्म ने उन पर इतनी गहरी छाप छोड़ी कि उन्होंने ठान ली कि अब उन्हें भी फिल्म बनानी है। हालांकि, यह काम आसान नहीं था। इसके लिए वह एक दिन में चार-पांच घंटे सिनेमा देखा करते थे, ताकि वह फिल्म मेकिंग की बारीकियां सीख सकें। उनकी पहली फिल्म का बजट 15 हजार रुपये था, जिसके लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था।

उस समय फिल्म बनाने के जरूरी उपकरण केवल इंग्लैंड में मिलते थे, जहां जाने के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी की सारी जमा-पूंजी लगा दी। पहली फिल्म बनाने में उन्हें लगभग छह महीने का समय लगा। दादा साहब की आखिरी मूक फिल्म ‘सेतुबंधन’ थी। दादा साहब ने 16 फरवरी 1944 को इस दुनिया को अलविदा कहा। भारत में सिनेमा की शुरुआत करने के लिए उनके सम्मान में दादा साहब फालके अवॉर्ड दिया जाता है। साल 1969 में इसकी शुरुआत हुई थी। देविका रानी को पहली बार इस अवॉर्ड से नवाजा गया।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1914ः लॉस एंजलिस और सैन फ्रांसिस्को के बीच पहले विमान ने उड़ान भरी।

1918ः लुथियाना ने खुद को स्वतंत्र घोषित किया।

1959ः फिदेल कास्त्रो ने फुलगेनसियो बतिस्ता को अपदस्थ करने के बाद क्यूबा की सत्ता संभाली।

1969ः मिर्जा गालिब की 100वीं पुण्यतिथि पर डाक टिकट जारी किया गया।

1982ः काेलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में पहली बार जवाहरलाल नेहरू इंटरनेशनल गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया गया।

1986ः मेरिओ सोरेस पुर्तगाल के प्रथम असैनिक राष्ट्रपति निर्वाचित।

1987ः पनडुब्बी से पनडुब्बी पर मार करने की क्षमता वाली मिसाइल को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

1990ः सैम नुजोमा नामीबिया के पहले राष्ट्रपति निर्वाचित।

1994ः इंडोनेशिया के सुमात्रा में 6.5 तीव्रता के भूकंप के भीषण झटकों से 200 लोगों की मौत।

2001ः अमेरिकी व ब्रिटिश विमानों का इराक पर हमला।

2003ः विश्व की पहली क्लोन भेंड़ डॉली को दया मृत्यु दी गई।

2004ः इस्लामाबाद में भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच वार्ता प्रारम्भ।

2008ः मध्य प्रदेश शासन ने पार्श्वगायक नितिन मुकेश को लता मंगेशकर पुरस्कार प्रदान किया।

2008ः टाटा मोटर्स ने सेना के लिए लाइट स्पेशिएस्टि ह्वीकल नाम से एक वाहन उतारा।

2008ः पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मिराज विमान दुर्घटनाग्रस्त।

2009ः तत्कालीन कार्यवाहक वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2009-10 का अंतरिम बजट पेश किया।

2010ः हिन्दी के प्रसिद्ध कवि कैलाश वाजपेयी, मैथिली के दिवंगत कथाकार मनमोहन झा और अंग्रेजी के लेखक बद्रीनाथ चतुर्वेदी समेत 23 लोगों को वर्ष 2009 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गुजराती के लेखक शिरीष जे. पंचाल ने यह पुरस्कार लेने से मना कर दिया। राज्यसभा के तत्कालीन सदस्य एवं प्रसिद्ध हिन्दी अनुवादक वाई लक्ष्मीप्रसाद को तेलुगु साहित्य के लिए यह पुरस्कार दिया गया।

2010ः शास्त्रीय गायक पंडित जसराज, वरिष्ठ फिल्म अभिनेता डॉ. श्रीराम लागू, नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति और कर्नाटक संगीत के तीन प्रसिद्ध व्यक्तियों समेत कुल छह व्यक्तियों को प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी फैलो (अकादमी रत्न) प्रदान करने की घोषणा की गई।

2013ः पाकिस्तान के हजारा कस्बे के एक बाजार में हुए बम विस्फोट में 84 लोग मारे गए और 190 घायल हुए।

जन्म

1745ः मराठा सामाज्य के चौथे पेशवा थोरले माधवराव।

1822ः भारत के प्रख्यात विद्वान राजेन्द्रलाल मित्रा।

1931ः लेखक, आलोचक और कवि विश्वनाथ त्रिपाठी।

1932ः अरुणाचल प्रदेश, बिहार और झारखंड के पूर्व राज्यपाल वी.सी. पाण्डेय

1937ः लेखक एवं कला समालोचक गुलाम मोहम्मद शेख।

1978ः भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर।

निधन

1956ः गणित व भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले भारतीय वैज्ञानिक मेघनाथ साहा।

2016ः संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव बुतरस घाली।

2022ः प्रसिद्ध भारतीय गायक और संगीतकार बप्पी लाहिड़ी।

दिवस

दादा साहब फालके की पुण्यतिथि।

संबंधित समाचार

ताजा खबर