Wednesday, September 18, 2024
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गुजरात की डॉ. आशा सिंह सिकरवार को मिला विश्व साहित्य सम्मान-2024

निर्दलीय समाचार पत्र समूह के इक्यावन वर्ष पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित वार्षिकोत्सव में साहित्यकारों सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर अपनी कर्मठ भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। 

मुख्य समारोह के सप्तम चरण में राष्ट्रीय शिखर सम्मान व विश्व साहित्य सम्मान प्रदान किए गए। इसके पश्चात अष्टम चरण में साहित्य शिक्षा और भाषा विषय पर  सामूहिक विमर्श एवं नवम चरण में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।

इस समारोह में राजेन्द्र शर्मा ‘अक्षर ‘, अशोक निर्मल, सुरेश खांडेकर, विजय कुमार पांचाल रतन, पं. रमेश कुमार व्यास शास्त्री, लीलेद्र सिंह मारण, अलका राज अग्रवाल, मनोज चतुर्वेदी, जीवन मारण, राज कुमारी चौकसे, रमेश सिंह राघव आदि के अलावा संस्थापक, संपादक कैलाश आदमी की गरिमामयी उपस्थिति रही। समारोह में निर्दलीय अंतरराष्ट्रीय मासिक पत्रिका जुलाई अंक 2024 का विमोचन किया गया।

समारोह में लोक चिंतन पत्रिका (पटना) जिला अध्यक्ष, साहित्य टीवी दिल्ली की जिला अध्यक्ष, हिंदी विश्व शोध संवर्धन अकादमी (वाराणसी) की गुजरात अध्यक्ष, सर्वजन न्याय मंच नई दिल्ली गुजरात की अध्यक्ष डाॅ. आशा सिंह सिकरवार को ‘विश्व साहित्य सम्मान’ प्रदान किया गया।

इसके साथ ही निर्दलीय प्रकाशन द्वारा डाॅ. आशा सिंह सिकरवार का निर्दलीय पत्रिका विशेषांक का प्रकाशन भी किया गया है, जिसमें उनका संपूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व का प्रकाशन किया गया। जिसमें देश भर के विभिन्न लेखकों के लेख प्रकाशित हुये हैं जो आशा सिंह सिकरवार को नजदीक से जानते पहचानते हैं। उनकी कविताओं पर जिन्होंने विस्तार से समीक्षा लेख लिखे।

डाॅ. आशा सिंह सिकरवार राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं द्वारा अपनी साहित्यिक लेखन में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुकी हैं। उनकी रचनाधर्मिता किसी खेमें विशेष के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव समाज के लिए प्रतिबद्ध है। क्रांतिकारी कवयित्री के रूप में पहले ही संग्रह (उस औरत के बारे में) द्वारा हिन्दी साहित्य में अपनी विशेष पहचान बनाई। उनके काव्य संग्रह उस औरत के बारे को गुजरात विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में स्थान मिल चुका है। 

समकालीन कविता में ही नहीं बल्कि अपने समय में हस्तक्षेप करते हुए वे अपनी धारदार लेखनी से स्त्री और बच्चों के पक्षधर बनकर बात करती हैं, जिस समाज में स्त्री और बच्चों का स्थान जितना ऊँचा होगा, वह समाज उतना ही विकसित होगा। समाज का मुख्य स्तंभ स्त्री और बच्चे ही हैं। इसलिए वे अपने द्वितीय संग्रह (स्त्री की गंध) में स्त्री और बच्चों को केंद्र में रखकर साहित्य में एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग मुकाम बना चुकी हैं। डाॅ आशा सिंह सिकरवार अब तक अनेक पुरस्कार एवं सम्मान पत्रों से सम्मानित किया जा चुका है।

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