Saturday, December 21, 2024
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माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर जबलपुर: पाषाण काल से लेकर कलचुरी राजवंश तक का इतिहास समेटे हुए है तेवर

लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र जबलपुर के तेवर में स्थित माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर एक ऐतिहासिक स्‍थल है। मंदिर के आस-पास विभिन्न उत्खननों में मध्य पाषाण कालीन, मौर्य, शुंग, सातवाहन, कुषाण, गुप्त और कलचुरी आदि राजवंशों के अवशेष प्राप्त हुए।

एएसआई के अधिकारियों ने बताया कि तेवर में मंदिर के आस-पास विभिन्न उत्खननों में मध्य पाषाण कालीन, मौर्य, शुंग, सातवाहन, कुषाण, गुप्त और कलचुरी आदि राजवंशों के अवशेष प्राप्त हुए। इस पुरास्थल का प्रथम उत्खनन सागर विश्वविद्यालय ने सन 1952 ईस्वी में हथियागढ़ (तेवर) टीले की खुदाई की थी।

सन 1965-70 ईस्वी के दौरान मप्र पुरातत्व विभाग के संयुक्त सहयोग से एमएस बड़ौदा विश्वविद्यालय, डेक्कन कॉलेज, पुणे और सागर विश्व विद्यालय ने यहाँ उत्खनन किया। इस स्थल का अगला उत्खनन सन 1966-67 ईस्वी में किया गया। हाल में सन 2020-21 ईस्वी में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण जबलपुर मण्डल ने उत्खनन का कार्य कराया गया।

इन सभी उत्खननों में लघुपाषाण उपकरण, चित्रित लाल मृदभाण्ड कच्ची एवं पक्की ईटों के भवन मिट्टी के बर्तन, वलय-कूप व विहार के अवशेष, पकी मिटटी की वस्तुएँ, पाषाण तथा धातु की बनी दैनिक उपयोग की वस्तुओं के अतिरिक्त इस क्षेत्र में शासन करने वाले वंशो के सिक्के भी प्राप्त हुए। यहाँ पर स्थित त्रिपुर सुंदरी माता एक सिद्ध स्‍थल है।

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