हमीरपुर (हि.स.)। बुन्देलखंड की वीरभूमि में सैकड़ों साल पुरानी बाजीराव मस्तानी के महल को अब चमकाने की तैयारी सरकारी डिपार्टमेंट ने की है। इसका निर्माण राजा छत्रसाल महाराज ने कराया था। बाजीराव मस्तानी के प्रेम का गवाह भी है, जिसके अतीत में कई रोचक कथानक है।
बुंदेलखंड में मध्य युग में महाराजा छत्रसाल एक प्रतापी क्षत्रिय राजा के रूप में और एक महान योद्धा के रूप में विख्यात हैं। जिन्होंने मुगल शासक औरंगजेब को युद्ध में पराजित किया और बुंदेलखंड में अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित किया।
इतिहासकार दत्तात्रय गणेश गोडसे ने मस्तानी ग्रंथ में लिखा है कि महाराजा छत्रसाल बुंदेला और पेशवा बाजीराव प्रथम के बीच जो संबंध थे वह पिता पुत्र के समान थे। राज्य छत्रसाल ने अपनी मृत्यु के पहले ही महोबा और आसपास के क्षेत्र को बाजीराव पेशवा को सौंप दिया था।
महाराजा छत्रसाल बुंदेला की जैतपुर रियासत बुंदेलखंड की सबसे उन्नत और संपन्न रियासतों में से एक थी। जहां पर उन्होंने जैतपुर की जागीर अपने छोटे बेटे जगतराज को सौंप दी और बड़े बेटे हृदयशाह को पन्ना का नरेश बना दिया। प्रयागराज के मुगल सूबेदार बंगश खान ने 1728 में जैतपुर पर हमला कर दिया। उस समय महाराजा छत्रसाल वृद्ध अवस्था में थे। जैतपुर की जागीर ना मिलने से महाराजा छत्रसाल के बड़े बेटे हृदयशाह ने युद्ध में छोटे भाई का साथ देने से मना कर दिया। तब महाराजा छत्रसाल ने पेशवा बाजीराव प्रथम को खत लिखकर मदद मांगी।
बाजीराव ने खत मिलते ही तुरंत बुंदेलखंड की ओर कूच कर दिया और बुंदेलखंड पहुंचकर बंगश खान से युद्ध लड़ा और उसे पराजित किया। वीर भूमि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार डॉक्टर एलसी अनुरागी ने जानकारी देते बताया कि मुगल शासक बंगश खान को युद्ध में पराजित कर दिया।
महाराजा छत्रसाल ने बाजीराव पेशवा को अपना तीसरा बेटा मानते हुए राज्य का एक तिहाई हिस्सा जालौन, कोच, झांसी आदि सौंप दिए। और यहीं पर बाजीराव पेशवा की मुलाकात मस्तानी से हुई, जिसके बाद महाराजा छत्रसाल ने बाजीराव और मस्तानी का विवाह करा दिया और उपहार में उनका मस्तानी महल का निर्माण करवाया जो आज भी बाजीराव पेशवा के प्रेम की गवाही दे रहा है।
जिला पर्यटन अधिकारी चित्रगुप्त श्रीवास्तव का कहना है कि ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए सरकार गंभीर है। ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए और उनको विकसित करने के लिए सरकार के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है।
आज भी है अमर बाजीराव पेशवा की प्रेम गाथा
इतिहासकारों के अनुसार बाजीराव पेशवा के देहांत के बाद मस्तानी ने जहर खाकर अपनी जान दे दी थी। जिससे उनकी प्रेम गाथा हमेशा के लिए अमर हो गई। महाराजा छत्रसाल के द्वारा बनवाया गया मस्तानी महल आज भी उनके प्रेम की गवाही दे रहा है।
बेलासागर झील के किनारे बनी है ऐतिहासिक धरोहर
मस्तानी महल बेला सागर झील के किनारे बना हुआ है। झील के कारण यहां की सुंदरता और बढ़ जाती है। कई मील में फैली इस झील में हजारों किलोमीटर दूर से पक्षी प्रवास करने पहुंचते हैं। जिससे झील की सुंदरता और बढ़ जाती है।
वैवाहिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा मस्तानी महल
सरकार द्वारा ऐतिहासिक मस्तानी महल को संरक्षित करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। महल को वैवाहिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी की जा रही है, जिससे यहां पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।