नई दिल्ली (हि.स.)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं के कारण ग्रोथ रेट में 0.20 फीसदी की कटौती की है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.70 फीसदी से घटाकर 6.50 फीसदी कर दिया है। आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के मकसद से नीतिगत दर रेपो को 0.25 फीसदी घटाकर छह फीसदी कर दिया है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को वित्त वर्ष 2025-26 की पहली दिवसीय द्वमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के बाद नतीजों की जानकारी देते हुए यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जलाशयों की बेहतर स्थिति और 2025-26 में फसल उत्पादन अच्छा रहने के अनुमान से कृषि क्षेत्र की संभावनाएं उज्ज्वल बनी हुई हैं।
संजय मल्होत्रा ने कहा कि इन आधारभूत अनुमानों के बीच जोखिम समान रूप से संतुलित है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अस्थिरता में हाल ही में हुई वृद्धि के मद्देनजर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। ऐसे में हमने जीडीपी वृद्धि दर के फरवरी में लगाए गए 6.70 फीसदी के अनुमान में 0.20 फीसदी की कटौती की है। उन्होंने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान में यह कटौती वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं की वजह से की गई है।
आरबीआई गवर्नर कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अब 6.50 फीसदी रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.50 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। वहीं, दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.70 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.60 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.30 फीसदी रहने का अनुमान है।
संजय मल्होत्रा ने कहा कि विनिर्माण गतिविधियों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। कारोबारी उम्मीदें मजबूत बनी हुई हैं, जबकि सेवा क्षेत्र की गतिविधियां भी जुझारू क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि निवेश गतिविधियों में तेजी आई है। उच्च क्षमता उपयोग, सरकार के बुनियादी ढांचे पर खर्च को लेकर जोर, बैंकों और कंपनियों के बेहतर बही-खाते और वित्तीय स्थितियों में सुधार के कारण आगे निवेश और बढ़ने की उम्मीद है।