अब 15 लाख रुपये का एक्सीडेंट बीमा कराना अनिवार्य

देश मे चार पहिया एवं दो पहिया वाहन मालिक और ड्राइवर का बीमा कवर 15 लाख रुपये अनिवार्य कर दिया गया है। बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण-इरडा (IRDA) ने इस आशय के निर्देश जारी कर दिये हैं। पहले वाहन बीमा में वाहन मालिक व वाहन चालक का बीमा काफी कम होता था, लेकिन बीमा कवर बढ़ाने से अगर दुर्घटना में वाहन स्‍वामी या ड्राइवर की मृत्‍यु हो जाती है तो इससे आश्रित परिवार को मदद मिल सकेगी। इरडा ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वह हर प्रकार के वाहन बीमा में यह व्‍यवस्‍था लागू करे। इसके लिए 750 रुपए का अतिरिक्‍त प्रीमियम वसूला जाए। इरडा ने कहा है कि यह व्‍यवस्‍था कॉम्‍प्रीहेंसिव और थर्ड पार्टी बीमा दोनों में की जाए। उसने कंपनियो को यह छूट दी है कि इतना कवर उपलब्‍ध कराने के लिए जो भी प्रीमियम बनता है वह खुद ही तय कर लें।
ज्ञात रहे कि 1 सितंबर 2018 से लागू नई व्‍यवस्‍था के तहत नए 4 पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराते समय 3 साल का थर्ड पार्टी बीमा लेना अनिवार्य कर दिया गया है, वहीं दोपहिया वाहनों के लिए 5 साल तक का थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी के मद्देनजर लिया था, क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि लोग जब नई गाड़ी खरीदते हैं तो बीमा कराते हैं, लेकिन इनमें से कई लोग बीमा पॉलिसी का रिन्यूवल नहीं कराते। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा पर अदालती कमेटी की सिफारिशों का उल्‍लेख करते हुए यह नियम अनिवार्य किया था। कमेटी ने सिफारिश की थी कि वाहनों की बिक्री के समय थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस कवर एक साल की जगह क्रमश: 5 साल और 3 साल के लिए अनिवार्य किया जाए। भारत में सिर्फ 45 फीसदी बाइक व स्‍कूटर ही बीमित हैं जबकि 70 फीसदी कार इंश्‍योर्ड हैं। इंश्योरेंस इंफोर्मेशन ब्यूरो के मुताबिक अभी देश भर में केवल 6.5 करोड़ गाड़ियों का बीमा हुआ है, जबकि 21 करोड़ गाड़ियां पंजीकृत हैं। देश में हर 3 मिनट में एक वाहन दुर्घटना होती है। एक अन्‍य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगर किसी वाहन का बीमा खत्‍म हो चुका है और उससे दुर्घटना हो जाती है तो प्रभावित व्‍यक्ति को उस गाड़ी को बेचकर हर्जाना चुकाया जाना चाहिए शीर्ष अदालत ने सभी राज्‍यों से मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करने का आदेश दिया था ताकि इस व्‍यवस्‍था को अनिवार्य बनाया जा सके।