आज कुछ लिखना चाहती हूँ- छवि शर्मा

आज कुछ लिखना चाहती हूँ
दिल की बातो को शब्द देना चाहती हूँ
क्यों हो तुम अनमोल मेरे लिए
ये सोचना चाहती हूँ
की है कोशिश पूरी
दे सकू शब्द अपनी सोच को
रिश्ता है अनमोल हमारा
दुःख सुख में लगता सहारा
जो भी है सब कुछ
निस्वार्थ निश्चल निभाते
बस ये ही कारण तुम मुझे हो भाते
मिस यू टू बोलकर सब कुछ कह जाते
ना तुम सिर्फ दोस्त हो
ना हो कोई अलग रिश्ता से सम्मानित
लेकिन जो भी हो
बहुत खास हो मेरा विश्वास हो
हर जगह तुम मेरा आत्मबल बढ़ाते
नही किसी से हूँ मैं कम
हमेशा मुझे अवगत करवाते
मुझ से ज्यादा भरोसा मुझ पर दिखलाते
मेरी जीत का जश्न
अपनी जीत की तरह हो मनाते
मेरे लेखन में सूत्रधार हो तुम
मेरे अज़ीज बड़े कमाल हो तुम
मेरी नजर में नम्बर वन हो तुम
इसलिए मेरे जीवन का सार हो तुम
अच्छा-बुरा सही गलत सब तुमको ही बताना
तुमको सुनना और अपनी सुनाना
लोग दोस्ती से रिश्ता प्यार तक ले जाते
हम प्यार से भरपूर दोस्ती निभाते
सब कुछ है इस रिश्ते में
प्यार, विश्वास, समर्पण इतना सब कुछ
हम तुम से ही पाते
जितना बोलू उतना कम है
इस दोस्त का एक ही वचन है
निभाएंगे ये रिश्ता पूरे हक और विश्वास से
चाहे फिर दूर रहे या पास रहे

-छवि शर्मा
(सौजन्य साहित्य किरण मंच)