कुछ लोग बाज नहीं आते याद आने से
आ ही जाते हैं ख्याल में किसी बहाने से

पैहरन सी लिपट जाती है याद बदन से
न ही मिटती है, न ही भूलती है भुलाने से

लबों पर थिरक जाते हैं वक्त बेवक्त यूं ही
घबराते हैं हम अक्सर हँसने-मुस्कुराने से

कयामत का असर रखते हैं ये जाने वाले
मुड़कर भी देखते नहीं जालिम बुलाने से

नमी बनी रहती है आँखों में मुसलसल
ये मन बहलता नहीं कैसे भी बहलाने से

चेहरा ओढ़ ले नकाब चाहे जितने मगर
अहसास हिज्र के छुपते नहीं छुपाने से

उम्र छोटी है प्रेम की, सच है ये भी मगर
महक मिटती नहीं पुष्प के बिखर जाने से

-पुष्प ‘प्रेम’