गुलाल भेज रहे हैं- पुष्प प्रेम

दूर हैं तुमसे,हम दूरी का मलाल भेज रहे हैं
अबके हवाओं के हाथ ही गुलाल भेज रहे हैं

तेरे अहसासों में भीगे हैं सुबह भी शाम भी
क्या तुम भी भीगे हो ये सवाल भेज रहे हैं?

इश्क़ में तेरे डूबे हैं ये रुह ओ जिस्म मेरे
तेरे रंग में रंगे हैं तेरा ही ख्याल भेज रहे हैं

छू न सकेंगी अबके मेरी नजरें-तेरी निगाहें
ख्याल में ही तुमको अपना हाल भेज रहे हैं

यूं फीके हैं रंग सारे तेरे रंग ए इश्क़ के आगे
रंग जिन्दगी के नीले,पीले,हरे,लाल भेज रहे हैं

सूना ही बीतेगा फागुन अबके बरस पिया
तुम पर कर्ज में अपना पूरा साल भेज रहे हैं

खूब मुबारक हो तुम को प्रेम का ये उत्सव
पुष्प की खुशबू से रचा हुआ रुमाल भेज रहे हैं

-पुष्प ‘प्रेम’