दिल में कितने राज हैं- स्नेहलता नीर

दिल बना फ़ौलाद का मुश्किल से घबराता नहीं
धार उल्टी वक़्त की हो खौफ़ ये खाता नहीं

अब तराने भी मुहब्ब्त के कोई गाता नहीं
प्यार में कोई वफ़ा भी अब निभा पाता नही

है जुबाँ शीरी हमारी प्यार है अपना खुदा
दिल में जो बस जाए तो फिर दिल से वो जाता नही

दिल में कितने राज हैं बस जानता दिल राज है
पर कभी इन्सान सबको सब तो बतलाता नहीं

जब तलक़ जिंदा हैं तब तक ही सभी सम्बन्ध हैं
बाद मरने के कोई भी साथ तो जाता नहीं

देश भक्ति तो दिखावा है हमारे सामने
वरना अपने मुल्क़ को वो यूँ तो लुटवाता नहीं

ग़म के भवसागर से हमको पार जाना है मगर
नाख़ुदा कोई हमें भी तो नज़र आता नहीं

मैं करूँ कैसे यकीं जो भी कहा है शोर कर
बात सच होती अगरचे यूँ तो हकलाता नहीं

ये हमारी है कमी रहबर बनाया हैं उन्हें
दाग़ दामन पर लगे ईमाँ से भी नाता नहीं

जऱ में ताक़त है बहुत देखा है इस संसार में
कोई भी ज़रदार को झूठा भी ठहराता नही

ज़िन्दगी में क़द्र कर लो वक़्त पर तुम वक़्त की
जो गया पल बीत वापस लौट कर आता नहीं

बात करता रोज़ है अच्छे दिनों की वो मगर
ख़्वाब हैं सब झूठ अच्छे दिन तो दिखलाता नही

-स्नेहलता नीर