भारतीय फार्मा उद्योग ने मनसुख मांडविया को आश्‍वस्‍त किया कि देश में दवाओं और औषधियों की कोई कमी नहीं है। दवाओं में प्रयुक्‍त होने वाली प्रमुख सामग्री ए‍क्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रिडिंयट्स (एपीआई) के आयात पर देश की निर्भरता को देखते हुए भारत सरकार ने केन्‍द्रीय जहाजरानी (स्‍वतंत्र प्रभार) तथा रसायन और उर्वरक राज्‍य मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में एक कार्यबल का गठन किया है। इस कार्यबल का उद्देश्‍य देश में एपीआई का उत्‍पादन बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार करना है।
कार्यबल की पांचवी बैठक आज नयी दिल्‍ली में आयोजित की गई जिसमें छोटी, मझौली और बड़ी एपीआई इकाइयों के लिए नीतिगत रियायतों तथा दवाओं के उत्पादन और उपलब्धता के लिए पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को सरल बनाने सें संबधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।
बैठक में श्री मांडविया ने देश में दवाओं और औषधियों की उपलब्धता की स्थिति का जायजा लिया। फार्मा उद्योग के प्रतिनिधियों ने उन्‍हें इस बात की जानकारी दी कि कोरोनावायरस से उत्पन्न होने वाले किसी भी आकस्मिक संकट से निपटने के लिए उनके पास पर्याप्त मात्रा में दवाएं और औषधियां हैं। उन्होंने यह भी आश्‍वस्‍त किया कि देश में आने वाले दिनों में किसी भी दवा या उसके लिए एपीआई की किल्‍लत नहीं होगी।
बैठक में पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने में फार्मा उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधि ने बताया कि पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया तेज करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और इसके लिए मंत्रालय ने संबंधित दिशानिर्देशों में बदलाव किए हैं ताकि यदि किसी फार्मा इकाई के उत्‍पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि हो तो उसे अलग से पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता न पड़े।