नहीं रहे प्रसिद्ध साहित्यकर और आलोचक नामवर सिंह

हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार और आलोचक प्रोफेसर नामवर सिंह का दिल्ली के एम्स के ट्रॉमा सेंटर में 19 फरवरी को 11:51 बजे रात निधन हो गया। नामवर सिंह 93 वर्ष के थे। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भारतीय भाषा केंद्र की स्थापना की और हिंदी साहित्य को नई ऊंचाई पर ले जाने में अहम भूमिका निभाई। हिंदी में आलोचना विधा को नई पहचान देने वाले नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य में एमए व पीएचडी करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाया। उनका नामवर सिंह का जन्म बनारस के जीयनपुर गांव में हुआ था। नामवर सिंह हिन्दी के शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबन्धकार तथा मूर्द्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्‍य थे।
नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जायतपुर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। अपने अधिकतर आलोचनाओं, साक्षात्कार इत्यादि विधाओं में साहित्य कला का सृजन किया है। उन्होंने ना सिर्फ साहित्य की दुनिया में अपना खासा योगदान दिया है बल्कि शिक्षण के क्षेत्र में भी उनका काफी योगदान है। नामवर सिंह ने काशी विश्वविद्यालय में एमए और पीएचडी की इसके बाद इसी विश्वविद्यालय में उन्होंने प्रोफेसर के पद कई वर्षों तक अपनी सेवाएं भी दीं। नामवर सिंह ने सागर विश्वविद्यालय में भी अध्यापन का काम किया, लेकिन यदि सबसे लंबे समय तक रहने की बात करें तो वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल में रहे। जेएनयू से सेवानिवृत्त होने के बाद नामवर सिंह को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय, वर्धा के चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया।