नील गगन के पार क्षितिज पर: आईना शाण्डिल्य

आईना शाण्डिल्य

तू मेरा संबल बन जाए,
मैं तेरा संबल बन जाऊं
तू मेरा आकाश सुनहरा,
मैं तेरा आँचल बन जाऊँ

नील गगन के पार क्षितिज पर,
होगी अपने प्यार की मंजिल
नहीं रहेगी दूरी कोई,
तुम होगे, मैं और मेरा दिल

यादों के गलियारों में फिर,
मैं तेरा बचपन बन जाऊं
तू मेरा आकाश सुनहरा,
मैं तेरा आँचल बन जाऊं

तेरे दुःख की गठरी ले के,
सुख तेरी झोली में डालूं
तुझे सुलाऊं प्रीत तले मैं,
सिरहाना बाहों के डालूँ

तेरी इस सूनी बगिया में,
भांति-भांति के फूल सजाऊं
तू मेरा आकाश सुनहरा,
मैं तेरा आँचल बन जाऊं

मेरा दिल है एक खिलौना,
इसे खेल तुम खुश हो लेना
अगर खुशी मिल जाए तुझको,
मेरा जीवन भी ले लेना

जीवन अर्पित कर तुझको मैं,
मृत्यु सयानी को छल जाऊं
तू मेरा आकाश सुनहरा,
मैं तेरा आँचल बन जाऊं

’सारे रिश्ते जो दुःख देते,
तुम ऐसे रिश्तों को टालो।
सब अपनों को मुझमें ढूंढो,
सारे रिश्ते मुझमें पा लो

मुझमें तेरे सब रिश्ते हैं,
मैं तेरा हर पल बन जाऊं
तू मेरा आकाश सुनहरा,
मैं तेरा आँचल बन जाऊं