भूजल के प्रबंधन के लिए विश्‍व बैंक देगा 450 मिलियन डॉलर का ऋण

भारत सरकार और विश्‍व बैंक ने 450 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किए जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य देश में भूजल के घटते स्‍तर को रोकना और भूजल से जुड़े संस्‍थानों को मजबूत बनाना है। अंतर्राष्‍ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) से मिलने वाले 450 मिलियन डॉलर के ऋण में 6 वर्षों की मोहलत अ‍वधि और 18 वर्षों की परिपक्‍वता अवधि होगी।
विश्‍व बैंक से सहायता प्राप्‍त अटल भूजल योजना (एबीएचवाई), राष्‍ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार कार्यक्रम को गुजरात, महाराष्‍ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में कार्यान्वित किया जाएगा और यह 78 जिलों को कवर करेगा। इन राज्‍यों में प्रायद्विपीय भारत के कठोर चट्टान वाले जलभृत और सिंधु-गंगा के मैदानी इलाके के कछारी जलभृत दोनों ही मौजूद हैं। विशेष मानदंडों के आधार पर इनका चयन किया गया जिनमें भूजल का दोहन एवं क्षरण, सुस्‍थापित वैधानिक एवं नियामकीय साधन, संस्‍थागत तैयारियां और भूजल के प्रबंधन से संबंधित पहलों को लागू करने से जुड़े अनुभव शामिल हैं
इस कार्यक्रम से अन्‍य बातों के अलावा जलभृतों का पुनर्भरण बढ़ेगा, जल संरक्षण से जुड़े उपायों की शुरुआत होगी, जल संचयन, जल प्रबंधन एवं फसल अनुरूपता से संबंधित कार्यकलापों को बढ़ावा मिलेगा, सतत भूजल प्रबंधन के लिए संस्‍थागत संरचना का सृजन होगा और भूजल के निरंतर प्रबंधन के लिए समुदायों तथा संबंधित हितधारकों को समर्थ बनाया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग में अपर सचिव समीर कुमार खरे ने कहा कि भारत में भूजल दरअसल ग्रामीण एवं शहरी घरेलू जलापूर्ति का एक महत्‍वपूर्ण स्रोत है और इसके स्‍तर में कमी होना चिंता का विषय है। अटल भूजल योजना का उद्देश्‍य सहभागितापूर्ण भूजल प्रबंधन से जुड़ी संस्‍थागत रूपरेखा को मजबूत बनाना और सतत भूजल संसाधन प्रबंधन के लिए समुदाय स्‍तर पर लोगों की आदतों या व्‍यवहार में बदलाव लाने को प्रोत्‍साहित करना है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़ी अत्‍याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से इस कार्यक्रम के बेहतर कार्यान्‍वयन में और भी अधिक मदद मिलेगी।
इस ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से आर्थिक कार्य विभाग में अपर सचिव श्री समीर कुमार खरे और विश्‍व बैंक की ओर से कंट्री डायरेक्‍टर (भारत) जुनैद अहमद ने हस्‍ताक्षर किए। जुनैद अहमद ने कहा कि भूजल दरअसल भारत का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण जल भंडार है और इस राष्‍ट्रीय संसाधन का समुचित प्रबंधन समय की मांग है। उन्‍होंने कहा कि यह कार्यक्रम ग्रामीण आजीविका में योगदान देगा और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को सुदृढ़ता प्रदान करेगा। हालांकि, इसका प्रभाव विश्‍व स्‍तर पर भी पड़ेगा, क्‍योंकि यह विश्‍व भर में भूजल प्रबंधन से जुड़े कई महत्‍वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक है।