रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन से अधिकारियों के करियर को नुकसान नहीं- चेयरमैन

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा है कि रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन कई वर्षों से लंबित था और रेलवे पर बनी कई सुधार समितियों ने इस संबंध में सुझाव दिया था। सुझाव देने वाली विभिन्न समितियों में प्रकाश टंडन समिति (1994) शामिल थी। इस समिति के अधिकांश सुझावों को अपनाया गया है।
मीडिया को संबोधित करते हुए श्री यादव ने कहा कि रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन से आपसी समन्वय बेहतर होगा और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी तथा माल ढुलाई सेवा भी बेहतर होगी। इस नए पुनर्गठित रेलवे बोर्ड में एक सीआरबी-सीईओ होगा और कार्य आधारित चार सदस्य होंगे, जिसमें सदस्य ढांचागत संरचना, सदस्य रोलिंग स्टॉक और ट्रैक्शन, सदस्य परिचालन और व्यापार विकास तथा सदस्य वित्त होंगे। रेलवे बोर्ड में स्वतंत्र सदस्यों को गैर-कार्यकारी सदस्यों के रूप में शामिल किया जाएगा। इनकी प्रमुख भूमिका परामर्श देने की होगी और ये रेलवे के दैनिक कामकाज से नहीं जुड़ेंगे। रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन के तौर-तरीके वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा तय किए जाएंगे। गैर-कार्यकारी सदस्यों की संख्या सरकार द्वारा तय की जाएगी। भारतीय रेल की सभी आठ सेवाओं को एक सेवा, भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा के अंतर्गत शामिल किया गया है। इससे विभिन्न विभागों में बंटे रहने से होने वाली समस्याएं समाप्त होंगी और अधिकारी रेलवे के विकास के लिए परस्पर समन्वय के साथ कार्य करेंगे।
श्री यादव ने कहा कि केवल भारतीय रेल के अधिकारियों को ही सीईओ पद के लिए योग्य माना जाएगा और किसी भी बाहरी व्यक्ति को सीईओ नहीं बनाया जाएगा। इसके अलावा भारतीय रेल के अधिकारियों के करियर में किसी प्रकार का नुकसान न होने का भरोसा दिया गया है। इस नए पुनर्गठित सेवा में भारतीय रेल के किसी अधिकारी को नुकसान नहीं होगा। महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों को सर्वोच्च स्तर का विकल्प देना वास्तव में उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे राज्य प्राधिकरणों के साथ समन्वय बेहतर होगा और तेजी से निर्णय लिए जा सकेंगे। इससे रेलवे बोर्ड नीति निर्माण, रणनीतिक योजना निर्माण और जोनल रेलवे के साथ समन्वय पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।
श्री यादव ने कहा कि भारतीय रेल की प्राथमिकता अवसंरचना को बेहतर बनाना और अड़चनों को दूर करना है। भारतीय रेल ने कोलकाता-दिल्ली और दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हमें आशा है कि 2021 तक समर्पित फ्रेट कोरिडोर की 3000 किलोमीटर लंबी रेल लाइन तैयार हो जाएगी। अगले 10 वर्षों में भारतीय रेल के पास सभी फ्रेट मार्गों पर समर्पित फ्रेट कॉरिडोर होंगे। भारतीय रेल ने मांग के आधार पर ट्रेन चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पीपीपी मोड के आधार पर रेलवे स्टेशन विकसित किए जाएंगे।
पिछले पांच वर्षों में रेलवे का निवेश 3 से 4 गुना बढ़ा है और परियोजनाओं को अत्यधिक महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण श्रेणियों में बांटा गया है। इससे अवसंरचना के उन्नयन में तेजी आएगी। भारतीय रेल ने उच्च विकास का लक्ष्य निर्धारित किया है और इसके लिए तेज एवं आपसी समन्वय के आधार पर निर्णय लेना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।