शब्दों की सीमा- सुधीर पांडेय

शब्दों के कई रूप,
बावरे, शब्दों के कई रूप..।।
मनभावन से लगें कभी
तो लगते कभी कुरूप।।
बावरे, शब्दों के कई रूप..।।

वही शब्द दरिया का पानी
वही चटकती धूप !!!
लहजा रूप बदलके करता
सरल शब्द विद्रूप…!!!!!
बावरे, शब्दों के कई रूप..।।

शब्द दिखा न पायें, भाव का
इतना बड़ा स्वरूप…!!!
पूरा कब कह पायें, भले हों
भावों का प्रारूप….!!
बावरे, शब्दों के कई रूप..।।

सबसे मीठे शब्द कहो
वो प्यादा हो या भूप…।।
चुन साधू शब्दों को यूँ, हों
सहज भाव अनुरूप…।।
बावरे, शब्दों के कई रूप..।।

शब्दों के कई रुप..
बावरे, शब्दों के कई रूप।।

-सुधीर पांडेय ‘व्यथित’