शायर नए हैं हम- जया पाटिल

हम पोटली हालातों की सर पे उठाए हैं
शायर नए हैं हम नयी उम्मीद लाए हैं

लोगों से क्या लेना मुझे लोगों से क्या मतलब
लोगों को नींद आती, मुझको सपने आए हैं

अब ज़िंदगी से है सवाल, क्या मुझे देगी?
मैंने ऐ ज़िंदगी तेरे वादे निभाए हैं

मुझको बहुत बुरा लगेगा तोड़ देगा जब
मैंने बड़ी मुश्किल से घरौंदे बनाए हैं

एक वो है जिसको अपने काम से नहीं फुरसत
एक हम हैं जो कि उससे मिलने शहर आए हैं

यूँ ही नहीं हुई है ये वाली ग़ज़ल ‘जया’
आठों पहर ही शेर तेरे गुनगुनाए हैं

-जया पाटिल