सबला- रश्मि किरण

हाँ मैं एक सबला नारी यह दम रखती हूँ ।
क्या बहाएगी जिंदगी की आँधियां मुझे
जिंदगी को अपनी मुट्ठी में थामें खडी हूँ
मैं जननी हूँ मैं पहली जीवन गुरू भी हूँ
बहती भविष्य की धारा को उल्टा मोड़ दूँ
हाँ मैं एक सबला नारी यह दम रखती हूँ ।

मुसीबतों की आँधियाँ क्या उड़ाएँगी मुझे
फूंक से पर्वत उड़ाने का हुनर रखती हूँ ।
भावनाओं अहसासों की कोमलता से भरी हूँ
बेहिसाब सूखे समाजिक जज़्बातों को तर कर दूँ
मैं रेगिस्तान में फूल खिलाने का मन रखती हूँ।
हाँ मैं एक सबला नारी यह दम रखती हूँ ।

सय्याद के धोखे का जाल क्या फंसायेगा मुझे
शिकारी को शिकार बनाने का मन रखती हूँ।
फूल हूँ मैं पर कँटे चुभोने का हुनर रखती हूँ।
मैदान-ए-जंग में तलवार की नोक मैं मोड दूँ
जीत मेरी पक्की है यह हुंकार भरती हूँ।
हाँ मैं एक सबला नारी यह दम रखती हूँ ।

मैं एक सशक्त सबला नारी अबला न कहना मुझे
जीवन के हर कार्य क्षेत्र में मजबूती से आज खडी हूँ
स्वभिमान सम्मान अभिमान देश का ऊँचा रखती हूँ
विश्व में भारत की सच्ची संतान होने का गर्व करती हूँ
अपनी छोटी उंगली पर कहो तो मैं दुनिया घुमा दूँ
हाँ मैं एक सबला नारी यह दम रखती हूँ ।

-रश्मि किरण