किसान यूनियनों के साथ बातचीत के लिए केंद्र सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं: कृषि मंत्री

केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने कहा कि ये ताजा अधिनियम वो सुधार हैं जिन्हें संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के कई दौर के बाद लाया गया है।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेलवे और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने किसान यूनियन के नेताओं से बातचीत जारी रखने और एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की अपील की।

मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020 तथा मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम 2020 तथा आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 देश में अब तक के सबसे बड़े कृषि सुधार हैं।

ये नये सुधार किसानों को बाजार की स्वतंत्रता प्रदान करेंगे, उद्यमिता को प्रोत्साहित करेंगे तथा प्रौद्योगिकी तक किसानों की पहुंच बनाएंगे और वे कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव लेकर आएंगे।

केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद पर आश्वासन देने को तैयार है। सरकार मौजूदा एपीएमसी मंडियों के अंदर और बाहर लेनदेन में एक स्तरीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए तैयार है।

सरकार ने कहा है कि किसी भी विवाद की स्थिति में किसान एसडीएम अदालतों के अलावा सिविल कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।

इसके साथ ही बसरकार पराली जलाने और प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक में जुर्माने से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है। यह भी आश्वासन दिया है कि नए कृषि अधिनियमों के तहत किसानों की भूमि की रक्षा की जाएगी।

केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने कहा कि ये ताजा अधिनियम वो सुधार हैं जिन्हें संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के कई दौर के बाद लाया गया है। ये अधिनियम किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आज़ादी देते हैं और साथ ही निजी कंपनियों के साथ लेनदेन के समय एक सुरक्षात्मक कानूनी ढांचे के साथ किसानों को मजबूत करते हैं।

कृषि मंत्री तोमर ने महाराष्ट्र के एक किसान का उदाहरण दिया जिसकी शिकायत का निवारण इन नए कानूनों के तहत सफलतापूर्वक किया गया और उसे व्यापारी से तत्काल भुगतान मिला। उन्होंने कहा जब केंद्र एक कानून बनाता है तो वो पूरे देश के लिए होता है।

केंद्र सरकार ने कृषि व्यापार पर कानून बनाए हैं तो उसने अपने संवैधानिक अधिकारों के भीतर रहते हुए ऐसा किया है। कृषि के लिए बजटीय आवंटन में 2014-2020 के दौरान उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली है और ये किसानों व ग्रामीण क्षेत्र की तरफ इस सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।