डीआरडीओ ने 12 दिन में तैयार किया 1000 बेड वाला कोरोना अस्पताल

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज दिल्ली में 250 आइसीयू बेड्स सहित 1000 बेड वाले सरदार वल्ल्लभभाई पटेल कोविड अस्पताल का दौरा किया। लोगों के कल्याण और कोविड को हराकर, अधिक से अधिक से अधिक लोगों का उपचार व जान बचाने के मोदी सरकार के जज़्बे को और मज़बूत करते हुए यह अस्पताल भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सशस्त्र बलों और टाटा संस ने मिलकर रिकॉर्ड 12 दिन में तैयार किया है।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस चुनौतीपूर्ण समय में दिल्ली की जनता की मदद करने के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध हैं और यह कोविड अस्पताल पुनः उसी संकल्प को दर्शता है। अमित शाह ने डीआरडीओ, टाटा और सशस्त्र बल चिकित्सा कर्मियों का मौजूदा कठिन समय में आगे बढ़कर इस आपातकाल से निपटने में सहयोग करने के लिए आभार व्यक्त किया। इस मौक़े पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डीआरडीओ अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी भी मौजूद थे ।
इस अस्पताल का संचालन सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) के डॉक्टर्स , नर्ससिस और सहायक स्टाफ की मेडिकल टीम द्वारा किया जाएगा, जबकि डीआरडीओ इसका रख रखाव करेगा। रोगियों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए अस्पताल में डीआरडीओ प्रबंधित एक समर्पित मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र की अतिरिक्त सुविधा भी उपलब्ध है। इस सुविधा में जिला प्रशासन द्वारा रेफ़र कोविड -19 रोगियों को भर्ती किया जाएगा और उनका मुफ्त इलाज होगा। गंभीर मामलों को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भेजा जाएगा।
इस परियोजना को टाटा संस के प्रमुख योगदान के साथ वित्त पोषित किया गया है। अन्य योगदान करने वालों में मैसर्स बीईएल, मैसर्स बीडीएल, एएमपीएल, श्री वेंकटेश्वर इंजीनियर्स, ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड और भारत फोर्ज शामिल हैं। डीआरडीओ के कर्मचारी स्वेच्छा से इसमें एक दिन के वेतन का योगदान कर रहे हैं।

केंद्रीय वातानुकूलित, यह अद्वितीय चिकित्सा सुविधा 25,000 वर्गमीटर में फैली हुई है और इसमें 250 आईसीयू बेड हैं । प्रत्येक आईसीयू बेड निगरानी उपकरण और वेंटिलेटर से सुसज्जित है। यह सुविधा सेफ कंटाजिएन कंटेनमेंट के लिये निगेटिव इंटरनल प्रेशर ग्रेडिऐंट की आधारभूत संरचना के साथ बनायी गई है। इसको ओक्टानोर्म मॉड्यूल के आधार पर तेज निर्माण तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है।
अस्पताल में अलग स्वागत कक्ष-सह रोगी भर्ती ब्लॉक, फार्मेसी और प्रयोगशाला के साथ मेडिकल ब्लॉक, ड्यूटी डॉक्टर्स और नर्स आवास तथा 4 मॉड्यूलर रोगी ब्लॉक हैं जिनमें से प्रत्येक में 250 बेड्स हैं। परिसर का निर्माण इस तरह से किया गया जिसमें रोगी और डॉक्टर्स तथा कर्मचारियों की आवाजाही के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। मरीजों और सुविधा कर्मियों के लिए स्वच्छता सुविधाएं और शौचालय ब्लॉक्स के बीच बनाए गए है ताकि इन तक आसानी से पहुँचा जा सके। रोगियों और चिकित्सा देखभाल कर्मचारियों के लिए रोगी ब्लॉक में सभी सुविधाये उपलब्ध हैं।
रोगी सुविधाओं में प्रत्येक बिस्तर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति, एक्स-रे, ईसीजी, हेमेटोलॉजिकल परीक्षण सुविधाएं, वेंटिलेटर, कोविड टेस्ट लैब, व्हील चेयर, स्ट्रेचर और अन्य चिकित्सा उपकरण शामिल हैं। डीआरडीओ द्वारा एमएसएमई उद्योग द्वारा पिछले तीन महीने में उत्पादित कोविड-19 तकनीकों जैसे- वेंटिलेटर, डीकंटेनिमेशन टनल, पीपीई किट, एन-95 मास्क, कॉन्टैक्ट-फ्री सेनेटाइजर डिस्पेंसर, सैनिटेशन चैम्बर्स और मेडिकल रोबोट ट्रॉलियों का उपयोग किया जाएगा।
इस सुविधा केंद्र को सुरक्षा कर्मचारियों, सीसीटीवी निगरानी और आवागमन नियंत्रण प्रणालियों के साथ सुसज्जित किया जायेगा। अस्पताल एकीकृत अग्नि सुरक्षा और नियंत्रण प्रणाली से भी सुसज्जित है। साथ ही इसे पर्यावरण, सुरक्षा और अपशिष्ट निपटान प्रक्रियाओं के संचालन डिजाइन अनुसार बनाया गया है। स्टाफ, सार्वजनिक, एम्बुलेंस और अग्निशमन सेवाओं के लिए एक बड़ा पार्किंग क्षेत्र निर्धारित किया गया है।
12 दिनों के रिकॉर्ड समय में तैयार इस अस्पताल का संचालन 5 जुलाई से शुरू हो गया है। इस अस्पताल के चालू होने से दिल्ली में कोविड-19 बेड्स में 11 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि होगी जिससे वर्तमान गंभीर स्थिति पर काबू पाया जा सकेगा। इस अस्पताल का निर्माण आपातकाल से निपटने में डीआरडीओ, गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सशस्त्र बलों, उद्योग, एमसीडी और दिल्ली प्रशासन के बीच तालमेल का एक अनूठा प्रयास है।