फिल्म उद्योग में फिल्मों की शूटिंग, सह-निर्माण, पोस्ट-प्रोडक्शन और प्रौद्योगिकी साझेदारों का केंद्र बनेगा भारत: अनुराग सिंह ठाकुर

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज गोवा में 53वें इफ्फी में कहा, ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) दुनिया भर के फिल्म निर्देशकों के लिए अपना काम दिखाने का एक मंच बन गया है। मुझे यकीन है कि भारत सह-निर्माण, पोस्ट-प्रोडक्शन, फिल्म शूटिंग और प्रौद्योगिकी भागीदारों के लिए भी एक केंद्र बनेगा।’

53वें इफ्फी की उद्घाटन फिल्म और ऑस्ट्रियाई निर्देशक डाइटर बर्नर की फिल्म अल्मा एंड ऑस्कर के वर्ल्ड प्रीमियर के लिए आयोजित रेड कॉर्पेट से इतर केंद्रीय मंत्री ने कहा, हर साल ये महोत्सव बड़े से और बड़ा होता जा रहा है। इस साल कई प्रीमियर हैं। इफ्फी में इस साल 79 से ज्यादा देशों की 280 फिल्मों दिखाई जाएंगी। उन्होंने कहा, हमने अब तक जो कुछ किया है, ये उसके बारे में काफी कुछ बताता है।  

अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि यह पहली बार है जब इफ्फी में उद्घाटन समारोह से पहले किसी उद्घाटन फिल्म की स्क्रीनिंग की जा रही है। कल के 75 यंग क्रिएटिव माइंड्स पहल से विश्व प्रीमियर तक, हर साल हम कुछ अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, हम अंतरराष्ट्रीय फिल्म पेशेवरों से और अधिक भागीदारी की उम्मीद करते हैं।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, मत्स्य पालन और पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन, सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा, अल्मा एंड ऑस्कर के कलाकारों और क्रू के साथ आज गोवा के पणजी स्थित आईनॉक्स में फिल्म की भव्य स्क्रीनिंग में शामिल हुए।

इफ्फी द्वारा हर तरफ बनाए गए रमणीय और उत्सवी माहौल का जिक्र करते हुए डॉ एल. मुरुगन ने कहा कि इफ्फी दुनिया को जोड़ रहा है। इस महोत्सव में दुनिया भर के फिल्म प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इफ्फी हमारी भारतीय संस्कृति को पूरी दुनिया में भी ले जा रहा है।

भावुक प्रेम कहानी अल्मा एंड ऑस्कर के बारे में जानकारी देते हुए निर्देशक डाइटर बर्नर ने इस बात पर रोशनी डाली कि यह फिल्म एक प्रसिद्ध वियनी महिला अल्मा महलर के बारे में है, जो सुंदर और साहसी थी, जिसने सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती दी। ऑस्कर कोकोस्चका अपने क्षेत्र में अग्रणी नाटककार और एक अभिव्यक्तिवादी चित्रकार थे। उन दोनों को प्यार हुआ, जो उन्हें आत्महत्या के कगार पर ले आया और कला के इतिहास में एक निशानी छोड़ गया।