भारत में कोरोना वायरस में किसी प्रकार के म्‍यूटेशन का पता नहीं लगा: डॉ हर्षवर्धन

केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज संडे संवाद के छठे एपिसोड में कहा कि इस त्‍योहारी सीजन में उत्‍सव के बजाय दान को वरीयता दी जाए और अधिक भीड़भाड़ वाले स्‍थलों पर जाने के बजाय अपने प्रियजनों के साथ त्‍योहार घर पर ही मनाएं।

उन्‍होंने कहा कि विश्‍व भर में कोरोना से लड़ने वाले डॉक्‍टरों और चिकित्‍सा कर्मियों और अन्‍य कोरोना योद्धाओं पर कोरोना का जो असर पड़ रहा है उससे मेरा त्‍योहार मनाने का उत्‍साह कम हो जाएगा।

डॉ हर्षवर्धन ने केरल में हाल में ही में कोरोना मामलों में बढ़ोतरी पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि 30 जनवरी से 3 मई तक केरल में मात्र 499 कोरोना मामले सामने आए और दो लोगों की मौत हुई थी, लेकिन हाल ही में ओणम त्‍योहार के दौरान लोगों ने जिस प्रकार की लापरवाही बरती उसका खामियाजा केरल को भुगतना पड़ा। व्‍यापार और पर्यटन के लिए राज्‍य में लोगों की संख्‍या में बढ़ोतरी होने से अनेक जिलों में कोरोना का प्रसार हुआ।

डॉ हर्षवर्धन ने चीन के इस दावे कि कोरोना वायरस के मामले विश्‍व के कई देशों में एक साथ सामने आए थे, पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है जो चीन के इस दावे को साबित कर सके कि विश्‍व में कईं स्‍थानों पर कोरोना वायरस का संक्रमण एक साथ हुआ था। उन्‍होंने कहा कि चीन का वुहान क्षेत्र पूरे विश्‍व में ऐसा क्षेत्र है जहां कोरोना के मामले सबसे पहले दर्ज किए गए थे।

डॉ हर्षवर्धन ने आश्‍वस्‍त किया कि भारत में कोरोना वायरस में किसी प्रकार की म्‍यूटेशन का पता नहीं लगा है। उन्‍होंने आश्‍वस्‍त किया कि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि कोरोना वायरस समाचार पत्रों के जरिए फैलता है। उन्‍होंने कहा कि समाचार पत्रों को कोरोना वायरस महामारी के दौरान पढ़ना पूरी तरह सुरक्षित है।

देश में कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों में विसंगतियों से जुड़े एक सवाल पर डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि उनके मंत्रालय ने इस बीमारी से होने वाली मौतों के सही प्रमाणन मुद्दे को राज्‍यों के समक्ष उठाया है और कोरोना से होने वाली मौतों की रिपोर्टिंग के बारे में सही तौर-तरीके अपनाना सुनिश्चित किया गया है।

उन्होंने आश्वासन दिया कि देश में मेडिकल ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है और इस समय भारत की वर्तमान ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता लगभग 6400 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। इस महामारी के अगर ऑक्‍सीजन की मांग बढ़ती है तो सरकार उत्‍पादन क्षमता में वृद्धि करने में पूरी तरह से तैयार है।

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि देश में इस समय कोविड-19 अंतरनासा वैक्‍सीन परीक्षण नहीं चल रहा है और नियामक मंजूरी की प्राप्ति के बाद आगामी महीनों में देश में सीरम इंडिया और भारत बायोटेक ऐसी वैक्‍सीनों का चिकित्‍सकीय परीक्षण कर सकते हैं।

उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि देश में तीसरे चरण के चिकित्‍सकीय परीक्षण में हजारों लोगों ने हिस्‍सा लिया है और इनकी संख्‍या 30,000 से 40,000 हो सकती है। यह भी संभव है किसी खास शहर अथवा अस्‍पताल में किसी समय सैकड़ों प्रतिभागियों का चयन कर लिया जाए लेकिन कुल मिलाकर तीसरे चरण में वैक्‍सीन सहभागियों की संख्‍या बहुत अधिक है।

कोविड-19 से निपटने के लिए दवाओं के प्रतिकूल दुष्‍प्रभावों और ऐसे मामलों की निगरानी के विशेष अभियान के बारे में डॉ. हर्षवर्धन ने स्‍पष्‍ट किया कि यह अभियान किसी मौजूदा औषधि के प्रतिकूल दुष्‍प्रभावों के बारे में नहीं है बल्कि यह कोविड-19 की तैयारियों से संबंधित कार्यक्रम की रणनीति का एक सक्रिय हिस्‍सा है।