अनियमित फंडिंग और कई प्रावधानों के उल्लंघन के कारण दो यूनियनों की मान्यता रद्द

सेवा संघ हमेशा से डाक विभाग का अभिन्न अंग रहे हैं। ये संघ अपने सदस्यों के सेवा संबंधी साझा हितों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। केन्द्रीय सिविल सेवा (सेवा संघों की मान्यता) नियम- सीसीएस (आरएसए) नियम, 1993 सेवा संघों को मान्यता प्रदान करते हैं। सीसीएस (आरएसए) नियम, 1993 के सभी प्रावधानों का पालन करना सभी मान्यता प्राप्त संघों के लिए आवश्यक है।

दो संघों – अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ समूह ‘सी’ और राष्ट्रीय डाक कर्मचारी संघ (एनएफपीई)- द्वारा इन नियमों का कथित उल्लंघन किए जाने के संबंध में एक शिकायत प्राप्त हुई थी। लगाए गए आरोप इन दोनों यूनियनों के सदस्यों से जुटाई गई धनराशि के अनियमित उपयोग से संबंधित थे। उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उक्त शिकायतों के संबंध में एक विस्तृत जांच की गई। संघ को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर दिया गया।

जांच रिपोर्ट में संघ द्वारा धन के उपयोग में बरती गई विभिन्न अनियमितताओं की पहचान की गई, जो सीसीएस (आरएसए) नियम, 1993 के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन कर रहे थे। इन नियमों के तहत कई प्रावधानों का उल्लंघननिम्नलिखित पहलुओं के संदर्भ में सेवा संघों के उद्देश्यों के गैर-अनुपालन के बराबर था-

  • अपने सदस्यों के सेवा संबंधी साझा हितों को बढ़ावा देना [नियम 5(बी)]।
  • सेवा संघ के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के अलावा अन्य उद्देश्य के लिए धन का उपयोग [नियम 5 (एच)]।
  • किसी भी पार्टी या उसके सदस्य का राजनीतिक फंडिंग या उसके राजनीतिक विचारों का प्रचार नहीं [नियम 6 (सी)]।

यदि ये कार्यकिसी सरकारी कर्मचारी द्वारा किए जाते हैं, तो उससे केन्द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 [नियम 6 (के)] के प्रावधानों का भी उल्लंघन होगा। इसलिए, उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए, डाक विभाग ने 25 अप्रैल, 2023 से अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ समूह ‘सी’ और राष्ट्रीय डाक कर्मचारी संघ (एनएफपीई) की मान्यता वापस ले ली है।

डाक विभाग के निजीकरण/निगमीकरण के संबंध में कुछ कर्मचारी संघ गैर-तथ्यात्मक और भ्रामक बयान दे रहे हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि डाकघरों के निगमीकरण या निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसके उलट, सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग और सरकारी सेवाओं के प्रसार के लिए डाक नेटवर्क का उपयोग किया है। इसलिए, पिछले कुछ वर्षों के दौरान डाकघरों के नेटवर्क का लगातार विस्तार हुआ और उसमें मजबूतीआई है।