राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संसद के समक्ष अभिभाषण: हमें 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो अतीत के गौरव से जुड़ा हो

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि संसद के इस समवेत सत्र को संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। कुछ ही महीने पहले देश ने अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करके आज़ादी के अमृतकाल में प्रवेश किया है। आज़ादी के इस अमृतकाल में हजारों वर्षों के गौरवशाली अतीत का गर्व जुड़ा है, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की प्रेरणाएं जुड़ी हैं और भारत के स्वर्णिम भविष्य के संकल्प जुड़े हैं। अमृतकाल का यह 25 वर्ष का कालखंड, स्वतन्त्रता की स्वर्णिम शताब्दी का, और विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है। ये 25 वर्ष हम सबके लिए और देश के प्रत्येक नागरिक के लिए कर्तव्यों की पराकाष्ठा करके दिखाने के हैं। यह हमारे सामने युग निर्माण का अवसर है, और हमें इस अवसर के लिए शत-प्रतिशत सामर्थ्य के साथ हर क्षण कार्य करना है।

  • हमें 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो अतीत के गौरव से जुड़ा हो, और जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय हो।
  • हमें ऐसा भारत बनाना है, जो आत्मनिर्भर हो और जो अपने मानवीय दायित्वों को पूरा करने के लिए भी समर्थ हो।
  • ऐसा भारत – जिसमें गरीबी न हो, जिसका मध्यम वर्ग भी वैभव से युक्त हो।
  • ऐसा भारत – जिसकी युवाशक्ति और नारीशक्ति, समाज और राष्ट्र को दिशा देने के लिए सबसे आगे खड़ी हो, जिसके युवा समय से दो कदम आगे चलते हों।
  • ऐसा भारत – जिसकी विविधता और अधिक उज्ज्वल हो, जिसकी एकता और अधिक अटल हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि 2047 में देश जब इस सच्चाई को जीवंत करेगा तो निश्चित रूप से उस भव्य निर्माण की नींव का अवलोकन और आकलन भी करेगा। तब आज़ादी के अमृतकाल की इस प्रथम बेला को एक अलग आस्था के साथ देखा जाएगा। इसलिए आज अमृतकाल का यह समय, यह कालखंड बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। मेरी सरकार को, देश के लोगों ने, जब पहली बार सेवा का अवसर दिया, तब ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र से हमने शुरुआत की थी। समय के साथ इसमें ‘सबका विश्वास’ और ‘सबका प्रयास’ भी जुड़ गया। यही मंत्र आज विकसित भारत के निर्माण की प्रेरणा बन चुका है। विकास के इस कर्तव्य पथ पर चलते हुए मेरी सरकार को कुछ ही महीनों में नौ वर्ष पूरे हो जाएंगे। मेरी सरकार के लगभग नौ वर्षों में भारत के लोगों ने अनेक सकारात्मक परिवर्तन पहली बार देखे हैं। सबसे बड़ा परिवर्तन यह हुआ है कि आज हर भारतीय का आत्मविश्वास शीर्ष पर है और दुनिया का भारत को देखने का नज़रिया बदला है।

  • जो भारत कभी अपनी अधिकांश समस्याओं के समाधान के लिए दूसरों पर निर्भर था, वही आज दुनिया की समस्याओं के समाधान का माध्यम बन रहा है।
  • जिन मूल सुविधाओं के लिए देश की एक बड़ी आबादी ने दशकों तक इंतज़ार किया, वे इन वर्षों में उसे मिली हैं।
  • जिस आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की हम कभी कामना करते थे, वह इन वर्षों में देश में बनना शुरू हुआ है।
  • आज भारत में एक ऐसा डिजिटल नेटवर्क तैयार हुआ है, जिससे विकसित देश भी प्रेरणा ले रहे हैं।  
  • बड़े-बड़े घोटालों, सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की जिन समस्याओं से देश मुक्ति चाहता था, वह मुक्ति अब देश को मिल रही है।
  • पॉलिसी पैरालिसिस की चर्चा से बाहर आकर आज देश की पहचान तेज विकास और दूरगामी दृष्टि से लिए गए फैसलों के लिए हो रही है।
  • इसलिए हम दुनिया की 10वें नंबर की अर्थव्यवस्था से पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं।

यही वो नींव है, जो आने वाले 25 साल में विकसित भारत के निर्माण के आत्मविश्वास को बुलंद करती है। राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बसवेश्वर ने कहा था– कायकवे कैलास। अर्थात् कर्म ही पूजा है, कर्म में ही शिव हैं। उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मेरी सरकार राष्ट्र निर्माण के कर्तव्य को पूरा करने में तत्परता से जुटी है।

  • आज भारत में, एक स्थिर, निडर, निर्णायक और बड़े सपनों के लिए काम करने वाली सरकार है।
  • आज भारत में ईमानदार का सम्मान करने वाली सरकार है।
  • आज भारत में गरीबों को स्थाई समाधान और उनके स्थाई सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली सरकार है।
  • आज भारत में अभूतपूर्व स्पीड और स्केल पर काम करने वाली सरकार है।
  • आज भारत में इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के माध्यम से जनकल्याण को सर्वोपरि रखने वाली सरकार है।
  • आज भारत में महिलाओं के सामने से हर बाधा को दूर करने वाली सरकार है।
  • आज भारत में प्रगति के साथ ही प्रकृति का भी संरक्षण करने वाली सरकार है।
  • आज भारत में विरासत के संरक्षण के साथ ही आधुनिकता को बढ़ावा देने वाली सरकार है।
  • आज भारत में अपनी वैश्विक भूमिका को लेकर आत्मविश्वास से आगे बढ़ने वाली सरकार है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मैं आज इस सत्र के माध्यम से, देशवासियों का आभार व्यक्त करती हूं कि उन्होंने लगातार दो बार, एक स्थिर सरकार को चुना है। मेरी सरकार ने देशहित को सदैव सर्वोपरि रखा, नीति-रणनीति में संपूर्ण परिवर्तन की इच्छाशक्ति दिखाई। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर आतंकवाद पर कठोर प्रहार तक, LoC से लेकर LAC तक हर दुस्साहस के कड़े जवाब तक, Article 370 को हटाने से लेकर तीन तलाक तक, मेरी सरकार की पहचान एक निर्णायक सरकार की रही है। स्थिर और निर्णायक सरकार होने का लाभ हमें 100 साल की सबसे बड़ी आपदा और उसके बाद बनी परिस्थितियों से निपटने में मिल रहा है। दुनिया में जहां भी राजनीतिक अस्थिरता है, वे देश आज भीषण संकटों से घिरे हैं। लेकिन मेरी सरकार ने राष्ट्रहित में जो भी निर्णय किए उससे भारत बाकी दुनिया से बहुत बेहतर स्थिति में है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार का स्पष्ट मत है कि भ्रष्टाचार लोकतंत्र का और सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसलिए बीते वर्षों से भ्रष्टाचार के विरुद्ध निरंतर लड़ाई चल रही है। हमने सुनिश्चित किया है कि व्यवस्था में ईमानदार का सम्मान होगा। भ्रष्टाचारियों के लिए समाज में किसी भी प्रकार की सहानुभूति न हो, इसके लिए सामाजिक चेतना भी देश में बढ़ रही है। बीते वर्षों में भ्रष्टाचार मुक्त eco-system बनाने की दिशा में, बेनामी संपत्ति अधिनियम को नोटिफाई किया गया। आर्थिक अपराध कर, फरार हुए अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिए Fugitive Economic Offenders Act पारित किया गया। सरकारी कामों में पक्षपात और भ्रष्टाचार के चलन को भी खत्म करने के लिए प्रभावी system बनाया गया है। आज सरकारी कामों में टेंडर और खरीद के लिए Government-e-Marketplace (GeM) जैसी व्यवस्था है जिसमें अब तक तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का transaction हुआ है। राष्ट्र निर्माण में ईमानदार योगदान देने वालों को आज विशेष सम्मान दिया जा रहा है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में कई जटिलताओं को खत्म कर देशवासियों का जीवन आसान बनाया गया है। Faceless जांच को बढ़ावा देने की वजह से व्यवस्था में पारदर्शिता आई है, और उसे जवाबदेह भी बनाया गया है। पहले टैक्स रिफंड के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता था। आज ITR भरने के कुछ ही दिनों के भीतर रिफंड मिल जाता है। आज GST से पारदर्शिता के साथ-साथ करदाताओं की गरिमा भी सुनिश्चित हो रही है। जनधन-आधार-मोबाइल से फर्जी लाभार्थियों को हटाने से लेकर वन नेशन वन राशन कार्ड तक, एक बहुत बड़ा स्थाई सुधार हमने किया है। बीते वर्षों में डीबीटी के रूप में, डिजिटल इंडिया के रूप में, एक स्थाई और पारदर्शी व्यवस्था देश ने तैयार की है। आज 300 से ज्यादा योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते तक पहुंच रहा है। अब तक पूरी पारदर्शिता से 27 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम करोड़ों लोगों तक पहुंचाई गई है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि ऐसी योजनाओं और ऐसी व्यवस्थाओं के कारण ही कोरोना काल में भारत करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से नीचे जाने से बचा पाया है। जब भ्रष्टाचार रुकता है और टैक्स की पाई-पाई का सदुपयोग होता है, तब हर टैक्सपेयर को भी गर्व होता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज देश का ईमानदार करदाता चाहता है कि सरकारें shortcut की राजनीति से बचें। ऐसी योजनाएं बनें, जो समस्याओं के स्थाई समाधान को प्रोत्साहित करें, जिनसे सामान्य जन का सशक्तिकरण हो। इसलिए मेरी सरकार ने वर्तमान चुनौतियों से निपटने के साथ ही देशवासियों के दीर्घकालिक सशक्तिकरण पर बल दिया है। ‘गरीबी हटाओ’, अब केवल नारा नहीं रह गया है। अब मेरी सरकार द्वारा गरीब की चिंताओं का स्थाई समाधान करते हुए, उसे सशक्त बनाने का काम किया जा रहा है। जैसे, गरीबी का एक बहुत बड़ा कारण बीमारी होती है। गंभीर बीमारी से गरीब परिवार का हौसला पूरी तरह से टूट जाता है, पीढ़ियां कर्ज में डूब जाती हैं। गरीब को इस चिंता से मुक्त करने के लिए राष्ट्रव्यापी आयुष्मान भारत योजना शुरु की गई। इसके तहत 50 करोड़ से अधिक देशवासियों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई। आयुष्मान भारत योजना ने देश के करोड़ों गरीबों को और गरीब होने से बचाया है, उनके 80 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचाए हैं। आज देशभर में करीब नौ हजार जनऔषधि केन्द्रों में बहुत कम कीमत में दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे बीते वर्षों में गरीबों के करीब 20 हजार करोड़ रुपए बचे हैं। यानि सिर्फ आयुष्मान भारत और जनऔषधि परियोजना से ही देशवासियों को एक लाख करोड़ रुपए की मदद हुई है। मैं सामान्य नागरिकों के जीवन से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण संसाधन, पानी का उदाहरण आप सभी के सामने रखना चाहूंगी। मेरी सरकार ने ‘हर घर जल’ पहुंचाने के लिए ‘जल जीवन मिशन’ शुरू किया। उसके पहले तक सात दशकों में देश में करीब सवा तीन करोड़ घरों तक ही पानी का connection पहुंचा था। लेकिन, जल जीवन मिशन के तहत इन तीन वर्षों में करीब 11 करोड़ परिवार Piped Water Supply से जुड़ चुके हैं। इसका सबसे ज्यादा लाभ गरीब परिवारों को ही हो रहा है, उनकी चिंता का स्थाई समाधान हो रहा है। बीते वर्षों में सरकार ने साढ़े तीन करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को पक्का घर बनाकर दिया है। जब घर मिलता है तो नया आत्मविश्वास आता है। इससे, उस परिवार का वर्तमान तो सुधरता ही है, उस घर में जो संतान बड़ी होती है उसके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। सरकार ने टॉयलेट, बिजली, पानी, गैस, ऐसी हर मूल सुविधा की चिंता से गरीब को मुक्त करने का प्रयास किया है। इससे देश की जनता को भी यह विश्वास हुआ है कि सरकारी योजना और सरकारी लाभ वास्तव में ज़मीन पर पहुंचता है और भारत जैसे विशाल देश में भी शत-प्रतिशत coverage यानि saturation संभव है।

हमारे ग्रंथों में लिखा है-

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।

यानी यह अपना है, यह पराया है, ऐसी सोच सही नहीं होती। मेरी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग के लिए काम किया है। बीते कुछ वर्षों में मेरी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि अनेक मूल सुविधाएं आज या तो शत-प्रतिशत आबादी तक पहुंच चुकी हैं या फिर उस लक्ष्य के बहुत निकट हैं। मेरी सरकार हर योजना में शत-प्रतिशत saturation के साथ ही अंत्योदय के प्रति भी पूरी निष्ठा से काम कर रही है। हमारी कोशिश है कि योजनाओं का लाभ सही और सभी लाभार्थियों को मिले, कोई भी सरकार की योजना के लाभ से वंचित न रहे।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमने देखा है कि कोरोना काल के दौरान दुनिया भर में किस तरह गरीब के लिए गुज़ारा मुश्किल हो गया। लेकिन भारत उन देशों में से एक है जिसने गरीब का जीवन बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और कोशिश की, कि देश में कोई गरीब भूखा नहीं सोए। मुझे खुशी है कि मेरी सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को नई परिस्थितियों के अनुसार आगे भी चलाने का निर्णय लिया है। यह एक संवेदनशील और गरीब-हितैषी सरकार की पहचान है। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सरकार गरीबों को मुफ्त अनाज के लिए लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। आज इस योजना की प्रशंसा पूरे विश्व में हो रही है। इस प्रशंसा की एक वजह ये भी है कि टेक्नोलॉजी की मदद से बनी पारदर्शी व्यवस्था में अनाज पूरा का पूरा हर लाभार्थी तक पहुंच रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में ऐसे अनेक वर्ग तथा ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जिनकी उम्मीदों और आवश्यकताओं पर समुचित ध्यान देकर ही समग्र विकास की परिकल्पना को पूरा किया जा सकता है। अब मेरी सरकार ऐसे हर वंचित वर्ग और वंचित क्षेत्र को वरीयता देते हुए काम कर रही है। मेरी सरकार ने हर उस समाज की इच्छाओं को पूरा किया है, जो सदियों से वंचित रहा है। गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी, इनकी इच्छाओं को पूरा कर उन्हें सपने देखने का साहस दिया है। कोई भी काम और कोई भी प्रयास छोटा नहीं होता, बल्कि विकास में सभी की अपनी भूमिका है। इसी भाव के साथ वंचित वर्गों और अविकसित क्षेत्रों के विकास पर बल दिया जा रहा है। रेहड़ी-ठेले-फुटपाथ पर बड़ी संख्या में हमारे छोटे व्यवसायी, अपना व्यापार-कारोबार और दुकानदारी करते हैं। मेरी सरकार ने विकास में इन साथियों की भूमिका को भी सराहा है। इसलिए पहली बार इनको फॉर्मल बैंकिंग से जोड़ा और पीएम स्वनिधि के माध्यम से सस्ते और बिना गारंटी के ऋण की व्यवस्था की। योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। अभी तक करीब 40 लाख साथियों को इसके तहत ऋण दिया जा चुका है। मेरी सरकार की प्राथमिकता में देश के 11 करोड़ छोटे किसान भी हैं। ये छोटे किसान, दशकों से, सरकार की प्राथमिकता से वंचित रहे थे। अब इन्हें सशक्त और समृद्ध करने के लिए हर तरह की कोशिश की जा रही है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत इन छोटे किसानों को सवा दो लाख करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी गई है। खास बात ये है कि इन लाभार्थियों में लगभग तीन करोड़ लाभार्थी महिलाएं हैं। इससे अभी तक लगभग 54 हज़ार करोड़ रुपए महिला किसानों को मिल चुके हैं। इसी तरह छोटे किसानों के लिए फसल बीमा, सॉयल हेल्थ कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड-KCC की coverage बढ़ाने के साथ ही हमारी सरकार ने पहली बार पशुपालकों और मछुआरों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से जोड़ा है। किसानों के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए एफ. पी. ओ. यानि Farmer Producer Organisations की स्थापना से लेकर फसलों के M.S.P. में वृद्धि करते हुए, मेरी सरकार, छोटे किसानों के साथ, मजबूती से खड़ी है।  

राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार ने अनुसूचित जातिजनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की आकांक्षा को जगाया है। ये वही वर्ग है जो विकास के लाभ से सबसे अधिक वंचित था। अब जब मूल सुविधाएं इस वर्ग तक पहुंच रही हैंतब ये लोग नए सपने देखने में सक्षम हो पा रहे हैं। अनुसूचित जाति के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए डॉक्टर आंबेडकर उत्सव धामअमृत जलधारा और युवा उद्यमी योजना जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आदिवासी गौरव के लिए तो मेरी सरकार ने अभूतपूर्व फैसले किए हैं। पहली बार देश ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाना शुरु किया। हाल में ही मानगढ़ धाम में सरकार ने आदिवासी क्रांतिवीरों को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर श्रद्धांजलि दी। आज 36 हज़ार से अधिक आदिवासी बाहुल्य वाले गांवों को प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत विकसित किया जा रहा है। आज देश में 400 से अधिक एकलव्य मॉडल स्कूल आदिवासी क्षेत्रों में खुल चुके हैं। देशभर में तीन हज़ार से अधिक वनधन विकास केंद्र आजीविका के नए साधन बने हैं। मेरी सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर O.B.C. के welfare के लिए हमारी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है। बंजारा, घुमंतू, अर्ध-घुमंतू समुदायों के लिए भी पहली बार Welfare and Development Board का गठन किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश में 100 से अधिक जिले ऐसे थे जो विकास के अनेक पैमानों में पीछे रह गए थे। सरकार ने इन जिलों को आकांक्षी जिला, Aspirational District घोषित कर, इनके विकास पर ध्यान दिया। आज ये जिले देश के दूसरे जिलों से बराबरी की ओर बढ़ रहे हैं। आकांक्षी जिलों की सफलता को अब मेरी सरकार ब्लॉक स्तर पर दोहराने के लिए काम कर रही है, और इसके लिए देश में 500 blocks को Aspirational Block के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू किया गया है। ये आकांक्षी ब्लॉक, सामाजिक न्याय की एक संस्थागत व्यवस्था के तौर पर विकसित किए जा रहे हैं। देश के जनजातीय क्षेत्रों, पहाड़ी क्षेत्रों, समुद्री क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों को भी बीते दशकों में विकास का सीमित लाभ ही मिल पाया था। नॉर्थ ईस्ट और जम्मू कश्मीर में तो दुर्गम परिस्थितियों के साथ-साथ अशांति और आतंकवाद भी विकास के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी। मेरी सरकार ने स्थाई शांति के लिए भी अनेक सफल कदम उठाए हैं और भौगोलिक चुनौतियों को भी चुनौती दी है। इसी का परिणाम है कि नॉर्थ ईस्ट और हमारे सीमावर्ती क्षेत्र, विकास की एक नई गति का अनुभव कर रहे हैं। सीमावर्ती गांवों तक बेहतर सुविधाएं पहुंचाने के लिए मेरी सरकार ने Vibrant Villages Programme पर काम शुरू किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अभूतपूर्व infrastructure बीते सालों में तैयार किया गया है। इससे भी, इन क्षेत्रों में विकास को गति मिल रही है। पिछले कुछ दशकों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुकी वामपंथी हिंसा भी अब कुछ जिलों तक ही सीमित रह गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि महिला सशक्तिकरण की रही है। इस संदर्भ में मुझे ‘नारी-शक्ति’ नामक एक प्रेरक कविता का स्मरण होता है जिसे भारतीय साहित्य की अमर विभूति, स्वाधीनता सेनानी तथा ओडिया भाषा की सुप्रसिद्ध नारी कवि ‘उत्कल भारती’ कुंतला कुमारी साबत ने लिखा था। आज से लगभग 100 वर्ष पहले उन्होंने यह उद्घोष किया था:

“बसुंधरा-तले भारत-रमणी नुहे हीन नुहे दीन

अमर कीरति कोटि युगे केभें जगतुं नोहिब लीन।”

अर्थात

भारत की नारी पृथ्वी पर किसी की तुलना में न तो हीन है, न दीन है। सम्पूर्ण जगत में उसकी अमर कीर्ति युगों-युगों तक कभी लुप्त नहीं होगी यानि सदैव बनी रहेगी। मुझे यह देखकर गर्व होता है कि आज की हमारी बहनें और बेटियां उत्कल भारती के सपनों के अनुरूप विश्व स्तर पर अपनी कीर्ति पताका लहरा रही हैं। मुझे प्रसन्नता है कि महिलाओं की ऐसी प्रगति के पीछे मेरी सरकार के प्रयासों का संबल रहा है। मेरी सरकार द्वारा जितनी भी कल्याणकारी योजनाएं शुरु की गई हैं, उनके केंद्र में महिलाओं का जीवन आसान बनाना, महिलाओं को रोजगार-स्वरोजगार के नए अवसर देना और महिला सशक्तिकरण रहा है। महिला उत्थान में जहां पुरानी धारणाओं और पुरानी मान्यताओं को तोड़ना भी पड़ा, उससे भी सरकार पीछे नहीं हटी है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता आज हम देख रहे हैं। सरकार के प्रयासों से समाज में जो चेतना आई, उससे बेटियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। देश में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हुई है एवं महिलाओं का स्वास्थ्य भी पहले के मुकाबले और बेहतर हुआ है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान हो या फिर प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना, इनसे मां और बच्चे, दोनों के जीवन को बचाने में हम सफल रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना की भी लगभग 50 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं ही हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार बेटियों की पढ़ाई से लेकर उनके करियर तक हर बाधा को दूर करने का प्रयास कर रही है। देश के सरकारी स्कूलों में बेटियों के लिए अलग टॉयलेट्स का निर्माण हो या फिर सैनिटेरी पैड्स से जुड़ी योजना, इससे बेटियों के ड्रॉप आउट रेट में बहुत कमी आई है। स्वच्छ भारत अभियान से महिलाओं की गरिमा तो बढ़ी ही है, इससे एक सुरक्षित माहौल भी उन्हें मिला है। सुकन्या समृद्धि योजना से देशभर की करोड़ों बेटियों के बेहतर भविष्य के लिए पहली बार सेविंग अकाउंट खुले हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बेटियों की शिक्षा के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। मेरी सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसी भी काम, किसी भी कार्यक्षेत्र में महिलाओं के लिए कोई बंदिश न हो। इसलिए माइनिंग से लेकर सेना में अग्रिम मोर्चों तक, हर सेक्टर में महिलाओं की भर्ती को खोल दिया गया है। सैनिक स्कूलों से लेकर मिलिट्री ट्रेनिंग स्कूलों तक में, अब हमारी बेटियां पढ़ाई और ट्रेनिंग कर रही हैं। ये मेरी सरकार ही है जिसने मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया है। मुद्रा योजना की लगभग 70 प्रतिशत लाभार्थी महिला उद्यमी ही हैं। एक स्टडी के अनुसार, इस योजना से, महिलाओं की आर्थिक शक्ति और सामाजिक फैसलों में उनकी भागीदारी, बढ़ी है। पीएम आवास योजना के तहत मिलने वाले घरों की रजिस्ट्री भी महिलाओं के नाम पर होने से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। जनधन योजना से पहली बार देश में बैंकिंग सुविधाओं में महिलाओं और पुरुषों के बीच अब बराबरी आ गई है। देश में इस समय 80 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह भी काम कर रहे हैं, जिनमें करीब नौ करोड़ महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इन महिला स्वयं सहायता समूहों को सरकार द्वारा लाखों करोड़ रुपए की मदद दी जा रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी विरासत हमें जड़ों से जोड़ती है और हमारा विकास आसमान को छूने का हौसला देता है। इसलिए मेरी सरकार ने विरासत को मजबूती देने और विकास को प्राथमिकता देने की राह चुनी है। आज एक तरफ देश में अयोध्या धाम का निर्माण हो रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ आधुनिक संसद भवन भी बन रहा है। एक तरफ हमने केदारनाथ धामकाशी विश्वनाथ धाम और महाकाल महालोक का निर्माण किया, तो वहीं हर जिले में हमारी सरकार मेडिकल कॉलेज भी बनवा रही है। एक तरफ हम अपने तीर्थों और ऐतिहासिक धरोहरों का विकास कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ भारत दुनिया की बड़ी स्पेस पावर बन रहा है। भारत ने पहला प्राइवेट सैटेलाइट भी लॉन्च किया है। एक तरफ हम आदि शंकराचार्य, भगवान बसवेश्वर, तिरुवल्लुवर, गुरु नानक देव जैसे संतों के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आज भारत हाईटेक नॉलेज का हब भी बनता जा रहा है। एक तरफ हम काशी-तमिल संगमम् के जरिए एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत कर रहे हैं तो वहीं वन नेशन, वन राशन कार्ड जैसी आधुनिक व्यवस्था भी बना रहे हैं। डिजिटल इंडिया और 5G टेक्नॉलॉजी में भारत के सामर्थ्य का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। आज भारत जहां योग और आयुर्वेद जैसी अपनी पुरातन विधाओं को पूरी दुनिया तक पहुंचा रहा है, वहीं दूसरी तरफ फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की नई पहचान भी सशक्त कर रहा है। आज भारत जहां प्राकृतिक खेती को, मिलेट्स की अपनी परंपरागत फसलों को प्रोत्साहित कर रहा है, वहीं नैनो यूरिया जैसी आधुनिक टेक्नॉलॉजी का भी विकास किया है। खेती के लिए एक तरफ जहां ग्रामीण infrastructure को हम बेहतर बना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ड्रोन टेक्नॉलॉजी से, सोलर पावर से किसान को ताकत दे रहे हैं। शहरों में जहां स्मार्ट सुविधाओं के विकास पर बल दिया जा रहा है, वहीं स्वामित्व योजना से पहली बार गांव के घरों की ड्रोन से मैपिंग की जा रही है। आज़ादी के अमृत महोत्सव पर जहां आज हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं, तो वहीं सैकड़ों आधुनिक वंदे भारत ट्रेनें भी लॉन्च हो रही हैं। एक ओर हमारे व्यापार की परंपरागत ताकत रहे, नदी जलमार्गों और बंदरगाहों को भी आधुनिक बनाया जा रहा है, तो मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक पार्क का नेटवर्क भी तैयार हो रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज़ादी के अमृतकाल में देश पंच प्राणों की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है। गुलामी के हर निशान, हर मानसिकता से मुक्ति दिलाने के लिए भी मेरी सरकार निरंतर प्रयासरत है। जो कभी राजपथ था, वह अब कर्तव्यपथ बन चुका है। आज कर्तव्यपथ पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा हर भारतीय को गौरवान्वित कर रही है, तो अंडमान निकोबार में भी नेताजी और आज़ाद हिंद फौज के शौर्य को हमने सम्मान दिया है। अभी कुछ ही दिन पहले मेरी सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में नेताजी सुभाषचंद्र बोस आइलैंड पर नेताजी को समर्पित भव्य स्मारक और म्यूज़ियम का शिलान्यास भी किया है। भारतीय सेना के परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान निकोबार के 21 द्वीपों का नामकरण भी किया गया है। एक तरफ नेशनल वॉर मेमोरियल आज राष्ट्रीय शौर्य का प्रतीक बन गया है, तो वहीं हमारी नौसेना को भी अब छत्रपति वीर शिवाजी महाराज का दिया प्रतीक चिन्ह मिला है। एक तरफ जहां भगवान बिरसा मुंडा सहित तमाम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े संग्रहालय बन रहे हैं, डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर के पंचतीर्थ बनाए गए हैं, वहीं दूसरी तरफ हर प्रधानमंत्री के योगदान को दर्शाने वाले प्रधानमंत्री संग्रहालय का निर्माण भी किया गया है। देश ने प्रथम ‘वीर बाल दिवस’ को भी पूरे गर्व और श्रद्धा से मनाया है। इतिहास की पीड़ाओं और उनके साथ जुड़ी शिक्षाओं को जागृत रखने के लिए देश में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ की शुरुआत भी मेरी सरकार ने की है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मेड इन इंडिया अभियान और आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का लाभ देश को मिलना शुरु हो चुका है। आज भारत में मैन्युफेक्चरिंग की अपनी कैपेसिटी भी बढ़ रही है और दुनिया भर से भी मैन्युफेक्चरिंग कंपनियां भारत आ रही हैं। आज हम भारत में ही सेमीकंडक्टर चिप से लेकर हवाई जहाज के निर्माण तक के लिए प्रयास शुरु कर चुके हैं। ऐसे ही प्रयासों का परिणाम है कि भारत में बने सामान का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। कुछ वर्ष पहले तक हम बड़ी संख्या में मोबाइल फोन आयात करते थे। आज भारत दुनिया में मोबाइल फोन का एक बड़ा निर्यातक बन चुका है। देश में खिलौनों के आयात में 70 प्रतिशत कमी आई है, जबकि निर्यात 60 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ा है। मेरी सरकार की नई पहल के परिणामस्वरूप हमारा रक्षा निर्यात छह गुना हो गया है। मुझे गर्व है कि हमारी सेना में आज INS विक्रांत के रूप में पहला स्वदेशी एयरक्राफ़्ट कैरियर भी शामिल हुआ है। हम मैन्युफेक्चरिंग के नए सेक्टर में ही प्रवेश नहीं कर रहे, बल्कि खादी और ग्रामोद्योग जैसे अपने पारंपरिक सेक्टर में भी प्रशंसनीय काम कर रहे हैं। ये हम सभी के लिए खुशी की बात है कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान देश के खादी और ग्रामीण उद्योग का टर्नओवर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका है। मेरी सरकार के प्रयासों से, खादी की बिक्री भी चार गुना बढ़ी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार ने innovation और entrepreneurship पर निरंतर अभूतपूर्व बल दिया है। इससे दुनिया की सबसे युवा आबादी वाले हमारे देश की ताकत का सदुपयोग हो रहा है। आज हमारे युवा अपने इनोवेशन की ताकत दुनिया को दिखा रहे हैं। 2015 में भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें स्थान पर था। अब हम 40वें स्थान पर पहुँच गए हैं। सात वर्ष पहले जहां भारत में कुछ सौ रजिस्टर्ड स्टार्ट अप्स ही थे, वहीं आज यह संख्या लगभग 90 हजार पहुंच रही है। आज के युग में हमारी सेनाओं का भी युवाशक्ति में समृद्ध होना, युद्धशक्ति में निपुण होना, टेक्नोलॉजी की पावर से लैस रहना, बहुत अहम है। इन सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए अग्निवीर योजना शुरू की गई है। इससे देश की युवाशक्ति को सेनाओं के माध्यम से राष्ट्र की सेवा का अधिकतम अवसर मिलेगा। मेरी सरकार देश के युवाओं की शक्ति को खेलों के जरिए भी देश के सम्मान से जोड़ रही है। हमारे खिलाड़ियों ने कामनवेल्थ गेम्स से लेकर ओलंपिक और पैरा गेम्स में अभूतपूर्व प्रदर्शन कर यह साबित किया है कि उनकी प्रतिभा किसी से कम नहीं है। देश के कोने-कोने में ऐसी प्रतिभाओं को खोजने, उनका टेलेंट निखारने के लिए खेलो इंडिया गेम्स, खेलो इंडिया सेंटर्स से लेकर TOPS स्कीम तक चलाई जा रही है। हमारी सरकार दिव्यांग कल्याण को लेकर भी पूरी तरह संवेदनशील है। देश में ‘एक साइन लैंग्वेज’ और सुगम्य भारत अभियान ने दिव्यांग युवाओं को बहुत मदद दी है। बीते दशकों में हमने भारत में infrastructure के निर्माण में दो बड़ी चुनौतियां देखी हैं। एक, infrastructure के बड़े प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो पाते थे। दूसरा, अलग-अलग विभाग, अलग-अलग सरकारें, अपनी-अपनी सुविधा से काम करती थीं। इससे सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग भी होता था, समय भी अधिक लगता था और सामान्य जन को भी असुविधा होती थी। मेरी सरकार ने पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान बनाकर इन चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाया है। पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान को लेकर राज्यों और यूनियन टेरिटरीज ने भी उत्साह दिखाया है। इससे देश में मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी का भी विस्तार होगा। मेरी सरकार भारत को विश्व का सबसे कंपीटिटिव लॉजिस्टिक्स हब बनाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए पिछले वर्ष देश में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी लागू की गई है। इस पॉलिसी के लागू होने से लॉजिस्टिक कॉस्ट में काफी कमी आएगी। मेरी सरकार देश के विकास के लिए जिस स्पीड और स्केल पर काम कर रही है, वह अभूतपूर्व है, अतुलनीय है।

  • मेरी सरकार के आने के बाद भारत में गरीबों के लिए औसतन हर रोज आवास योजना के 11 हजार घर बने।
  • इसी अवधि में भारत में हर रोज औसतन ढाई लाख लोग, ब्रॉडबैंड कनेक्शन से जुड़े।
  • हर रोज 55 हजार से ज्यादा गैस कनेक्शन दिए गए।
  • मुद्रा योजना के तहत हर रोज 700 करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन दिया गया।
  • बीते आठ-नौ वर्षों में भारत में लगभग हर महीने एक मेडिकल कॉलेज बना है।
  • इस दौरान देश में हर दिन में दो कॉलेजों की स्थापना हुई है, हर सप्ताह एक यूनिवर्सिटी बनी है।
  • सिर्फ दो साल के भीतर भारत ने 220 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज भी दी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इसी प्रकार physical infrastructure में तो देश में कई नए रिकॉर्ड बने हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 2013-14 तक देश में करीब तीन लाख इक्यासी हजार किलोमीटर सड़कें बनीं थीं। जबकि, 2021-22 तक ग्रामीण सड़कों का ये नेटवर्क सात लाख किलोमीटर से भी ज्यादा हो गया है। अब तक देश की 99 प्रतिशत से अधिक बस्तियां सड़क मार्ग से जुड़ चुकी हैं। वर्ल्ड बैंक सहित अनेक संस्थाओं की स्टडी के अनुसार ग्रामीण सड़कों से गांवों में रोज़गार, खेती, शिक्षा और स्वास्थ्य पर बहुत सकारात्मक असर पड़ा है। नेशनल हाइवे नेटवर्क में पिछले आठ वर्षों के दौरान 55 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। जल्द ही भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत देश के 550 से ज्यादा जिले हाइवे से जुड़ जाएंगे। अर्थव्यवस्था को गति देने वाले corridors की संख्या 6 से बढ़कर 50 होने वाली है। इसी तरह, देश का एविएशन सेक्टर भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। साल 2014 तक जहां देश में एयरपोर्ट्स की संख्या 74 थी, वह अब बढ़कर 147 हो गई है। आज भारत दुनिया का तीसरा बड़ा एविएशन मार्केट बन चुका है। इसमें उड़ान योजना की भी बहुत बड़ी भूमिका है। भारतीय रेलवे अपने आधुनिक अवतार में सामने आ रही है और देश के रेलवे मैप में अनेक दुर्गम क्षेत्र भी जुड़ रहे हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस के रूप में एक आधुनिक और सेमी हाईस्पीड ट्रेन भारतीय रेल का हिस्सा बन चुकी है। जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट के दुर्गम क्षेत्रों को भी रेलवे से जोड़ा जा रहा है। देश के बड़े रेलवे स्टेशनों को आधुनिक बनाया जा रहा है। भारतीय रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा बिजली से चलने वाला रेलवे नेटवर्क बनने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। भारतीय रेल को सुरक्षित बनाने के लिए स्वदेशी तकनीक – कवच का भी हम तेज़ी से विस्तार कर रहे हैं। भारत ने उस सोच को भी बदला है जो प्रगति और प्रकृति को परस्पर विरोधी मानती थी। मेरी सरकार ग्रीन ग्रोथ पर ध्यान दे रही है और पूरे विश्व को मिशन LiFE से जोड़ने पर बल दे रही है। सरकार ने पिछले आठ वर्षों में सोलर एनर्जी क्षमता को करीब 20 गुना बढ़ाया है। आज भारत, रीन्युएबल एनर्जी की क्षमता में विश्व में चौथे स्थान पर है। देश के बिजली उत्पादन की 40 प्रतिशत क्षमता नॉन-फॉसिल fuels से पैदा करने का लक्ष्य देश ने नौ वर्ष पहले ही हासिल कर लिया है। यह सफलता वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो के हमारे संकल्प को सशक्त करने वाली है। देश में, पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य पर भी तेजी से काम चल रहा है। सरकार ने हाल में मिशन हाइड्रोजन को भी स्वीकृति दी है। यह ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत में लाखों करोड़ रुपए के निवेश को आकर्षित करने वाला है। इसके फलस्वरूप क्लीन एनर्जी को लेकर भी, और एनर्जी सिक्योरिटी के लिए भी, विदेशों पर हमारी निर्भरता कम होगी। देश के शहरों से प्रदूषण कम करना भी हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। इसलिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए बहुत बड़े स्तर पर काम चल रहा है। FAME योजना के तहत राजधानी दिल्ली सहित देश के अनेक शहरों में केंद्र सरकार द्वारा सात हजार से अधिक इलेक्ट्रिक बसें पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जोड़ी जा रही हैं। बीते आठ वर्षों में देश में मेट्रो नेटवर्क में तीन गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है। आज 27 शहरों में मेट्रो ट्रेन पर काम चल रहा है। इसी प्रकार देशभर में 100 से ज्यादा नए वॉटरवे भी विकसित किए जा रहे हैं। ये नए वॉटरवे देश में ट्रासंपोर्ट सेक्टर का कायाकल्प करने में मदद करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज की दुनिया अनेक चुनौतियों से गुज़र रही है। दशकों पहले बनी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की प्रासंगिकता और प्रभाव पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। इन परिस्थितियों में भारत ऐसा देश बनकर उभरा है जो आज की विभाजित दुनिया को किसी न किसी रूप में जोड़ रहा है। भारत आज उन देशों में है जो ग्लोबल सप्लाई चेन पर विश्वास को फिर से सशक्त कर रहे हैं। इसलिए आज दुनिया भारत की तरफ उम्मीद की नज़रों से देख रही है।इस वर्ष भारत G-20 जैसे प्रभावी समूह का नेतृत्व कर रहा है। One Earth, One Family, One Future के मंत्र के साथ भारत की पूरी कोशिश है कि G-20 के सदस्य देशों के साथ मिलकर मौजूदा वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक समाधान तलाशा जाए। मेरी सरकार इसको सिर्फ एक डिप्लोमैटिक प्रोग्राम तक सीमित नहीं रखना चाहती। बल्कि यह पूरे देश के प्रयास से, भारत के सामर्थ्य और संस्कृति को showcase करने का अवसर है। इसलिए पूरे देश के दर्जनों शहरों में सालभर G-20 की बैठकें आयोजित की जा रही हैं। यह भारत के वैश्विक रिश्तों का बेहतरीन दौर है। हमने दुनिया के विभिन्न देशों के साथ अपने सहयोग और मित्रता को सशक्त किया है। एक तरफ हम इस वर्ष SCO की अध्यक्षता कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ QUAD का मेंबर होने के नाते, Indo-Pacific में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए काम कर रहे हैं। हमने अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए अपनी भूमिका का विस्तार किया है। अफगानिस्तान में भूकंप हो या फिर श्रीलंका का संकट, हम सबसे पहले मानवीय सहायता लेकर पहुंचे। भारत को लेकर आज जो सद्भाव है उसका लाभ हमें अफगानिस्तान और यूक्रेन में पैदा हुए संकट के दौरान भी मिला। संकट में फंसे अपने नागरिकों को हम इन देशों से सुरक्षित लेकर आए हैं। इस दौरान भारत ने कई अन्य देशों के नागरिकों की मदद करके अपना मानवीय स्वरूप फिर दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने आतंकवाद को लेकर जो कड़ा रुख अपनाया है उसको भी आज दुनिया समझ रही है। इसलिए आतंकवाद के विरुद्ध भारत की आवाज़ को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत में पहली बार UNSC काउंटर-टेररिज्म कमेटी की एक विशेष बैठक आयोजित की गई। इसमें भी भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी भूमिका को स्पष्ट किया। साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी चिंताओं को भी मेरी सरकार गंभीरता से पूरे विश्व के सामने रख रही है। मेरी सरकार का साफ मानना है कि स्थाई शांति तभी संभव है, जब हम राजनीतिक और रणनीतिक रूप से सशक्त होंगे। इसलिए अपनी सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण पर हम निरंतर बल दे रहे हैं। लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की अनंत यात्रा अनंत गौरवों से भरी हुई है। हमने लोकतंत्र को एक मानवीय संस्कार के रूप में विकसित किया है, समृद्ध किया है। अपने हज़ारों वर्षों के अतीत की तरह ही, आने वाली सदियों में भी भारत, मानवीय सभ्यता की अविरल धारा की तरह अनवरत गतिमान रहेगा।

  • भारत का लोकतंत्र समृद्ध था, सशक्त था, और आगे भी सशक्त होता रहेगा।
  • भारत की जीवटता अमर थी, आगे भी अमर रहेगी।
  • भारत का ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म सदियों से विश्व का मार्गदर्शन करता रहा है, और आने वाली सदियों में भी विश्व को इसी तरह राह दिखाएगा।
  • भारत के आदर्श और मूल्य, अंधकार से भरे गुलामी के दौर में भी अक्षुण्ण रहे हैं, और ये आगे भी अक्षुण्ण बने रहेंगे।
  • एक राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान अतीत में भी अमर थी, और भविष्य में भी अमर रहेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र के केंद्र, इस संसद में हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम मुश्किल लगने वाले लक्ष्य तय करें और उन्हें हासिल करके दिखाएं। जो कल होना है उसे आज पूरा करने की कोशिश करें। जिसे दूसरा कोई आने वाले दिनों में करने के बारे में सोच रहा है उसे हम भारतवासी पहले करके दिखा दें। आइये, अपने लोकतन्त्र को समृद्ध करते हुए हम उस वेद-वाक्य को आत्मसात करें जिसमें कहा गया है – “संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्”। अर्थात्, हम सब एक साथ कदम से कदम मिलाकर चलें, हमारे संकल्प स्वरों में एकता का प्रवाह हो और हमारे अन्तःकरण एक दूसरे से जुड़े हुए हों। आइये, हम राष्ट्र निर्माण के इस महायज्ञ में अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए संविधान की शपथ को पूरा करें।