लद्दाख में बनी दुनिया की सबसे ऊँची सड़क, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में हुई दर्ज

लद्दाख में उमलिंगला दर्रे पर 19,024 फीट पर दुनिया की सबसे ऊंची वाहन चलाने योग्य सड़क के निर्माण और ब्लैक टॉपिंग के लिए सीमा सड़क संगठन की उपलब्धि के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।

महानिदेशक सीमा सड़क (डीजीबीआर) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने एक आभासी समारोह में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का प्रमाण पत्र प्राप्त किया। यूनाइटेड किंगडम स्थित गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक निर्णायक ऋषि नाथ ने दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई वाली सड़क के निर्माण के लिए बीआरओ की उल्लेखनीय उपलब्धि को मान्य किया।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा संचालित चार महीने लंबी प्रक्रिया के अंतर्गत पांच अलग-अलग सर्वेक्षकों ने इस दावे की पुष्टि की। 52 किलोमीटर लंबी चिसुमले से डेमचोक टरमैक सड़क 19,024 फीट ऊंचे उमलिंगला दर्रे से होकर गुजरती है और बोलीविया में एक सड़क के पिछले रिकॉर्ड से बेहतर है, जो ज्वालामुखी उटुरुंकु से 18,953 फीट पर जुड़ती है।

उमलिंगला दर्रा सड़क विकास की दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारत की उपलब्धि में एक और मील का पत्थर है क्योंकि इसका निर्माण माउंट एवरेस्ट के उत्तर और दक्षिण बेस कैंप से अधिक ऊंचाई पर किया गया है जो क्रमशः 16,900 फीट और 17,598 फीट की ऊंचाई पर हैं ।

इस अवसर पर सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक (डीजीबीआर) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने उमलिंगला दर्रे के लिए सड़क निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की जो एक अत्यंत कठिन इलाके में, जहां सर्दियों में तापमान -40 डिग्री तक गिर जाता है और ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से 50 प्रतिशत कम रहता है, में मानवीय संकल्प और मशीनों की प्रभावकारिता दोनों का परीक्षण करता है।

बीआरओ ने पूर्वी लद्दाख के महत्वपूर्ण गांव डेमचोक को एक ब्लैक टॉप्ड सड़क प्रदान की जो क्षेत्र की स्थानीय आबादी के लिए एक वरदान होगी, क्योंकि यह लद्दाख में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को तथा पर्यटन को बढ़ावा देगी। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह सड़क, जो लगभग 15 किलोमीटर लंबी है, सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों के बुनियादी ढांचे के विकास में सरकार के फोकस को उजागर करती है।