मन हमारे मुस्कुराना तू सदा
भीड़ को अपना बनाना तू सदा
जिन्दगी फिर ये मिलेगी कब तुझे
हर समय हंसना हंसाना तू सदा
राह में पत्थर कभी आ जाए तो
तोड़ कर उसको गिराना तू सदा
जिन्दगी भर बस निडर होकर बढे
साथ में जग को बढाना तू सदा
प्यार को ही बस लगाना तू गले
‘भावना’ नफरत मिटाना तू सदा
– भावना दीपक मेहरा