भला क्यों आज इतनी है फ़िज़ां नगमासरा देखो
हवाओं में घुली है क्या किसी दिल की सदा देखो।।
निखरता हुस्न कैसे इश्क़ में,ये जान लोगे बस।।
नहाकर ओस में इक दिन निखरना फूल का देखो।।
लबों पर तिश्नगी लेकर पलट जाऊं मैं साहिल से।
मुहब्बत दे रही मुझको ये कैसा मशवरा देखो।।
मुहब्बत की मैं खुशबू हूँ मेरी बस ये तमन्ना है।
मुझे तुम अपनी साँसों में कभी बिखरा हुआ देखो।।
नज़र से देखने पर तो नज़र आऊंगा मैं पत्थर।
मुहब्बत का मैं पैकर हूँ मुझे दिल से ज़रा देखो।।।
पंकज अंगार
8090853584