हजारों आँसू सैकड़ों गम
आँखें नही दिल भी है नम
आकर भर लो ना बाँहों मे
तुम बिन तनहा रह गए हम
वो क्या जाने इश्क का मतलब
रोज बदलते हैं जो हमदम
राख से हो सारे गए अरमाँ
दिल ये जला है मद्धम-मद्धम
दर्द हुआ है कम सा अब तो
बरसी है आँखे यूँ भरदम
– रूचि शाही