आईना शाण्डिल्य
आज तेरा प्यार रोया।
क्यों कहा आने को तुमने,
जब तुम्हें आना नहीं था।
एक पल में जुग बिताया,
(तुम) हो निष्ठुर, जाना नहीं था।।
रात रोई, दिन भी रोया,
हो बहुत बेज़ार रोया।। आज तेरा…
था ये सोचा, बस तुम्हीं को,
अंग-अंग का प्यार दूँगी।
देह-परिमल की सुगन्धि
सेज पर ही वार दूंगी।।
देह रोई, रोम रोया,
दिल का कोमल तार रोया।। आज तेरा…
शुष्क, रक्तिम कंपकंपाते,
अधर भी तो जल रहे थे।
मद-भरे नैनों में आँसू,
भींच मन को छल रहे थे।।
आँख रोई, अधर रोया,
स्वप्न का-जल (काजल) धार रोया।। आज तेरा…
केश-कुन्तल ढूँढते हैं,
झूमरों में बिम्ब तेरा।
हो चकित दर्पण निहारुँ,
उसमें भी प्रतिबिम्ब तेरा।।
बिम्ब और प्रतिबिम्ब रोया।
आईना कई बार रोया।। आज तेरा…
स्वप्न मैं एक देखती हूँ,
है प्रथम स्पर्श तेरा।
हूँ पड़ी हत-बुद्धि-सी मैं,
और प्रणय उत्कर्ष तेरा।।
अंग और प्रत्यंग रोये।
चूनरी, गलहार रोया।। आज तेरा…
रक्त-आभा, नत-मुखी हो,
चिबुक छाती पर टिकाये।
लिपटी, सिमटी रति-प्रिया बन,
बिक गई मैं, बिन बिकाये।
मुख हथेली में छुपाये,
याद कर, हर बार रोया।। आज तेरा…
नयन ब्रीड़ा-युक्त,मादक,
लाल टेसू हो रहे हैं।
राग-दस्यु से, हार कर हम,
क्षुधातुर से हो रहे हैं।
लाज से हिचकी दबाये,
प्रणय-पाश का ज्वार रोया।। आज तेरा…