बेअदबी: वंदना मिश्रा

वंदना मिश्रा

ज़रा सा छू ही तो लिया था
कौन सा पहाड़ टूट पड़ा

बवाल मचाती स्त्रियों को
इसी तरह सम्भालना सम्भव हुआ

फ्रॉक का डिजाइन देखने के बहाने

मुम्बई से लौटे चचेरे भाई की शिकायत करने पर

समझाया गया
चुप रहो
परिवार में कलह करवाना है क्या?

रिश्ते के जीजा जी ने
बेअदबी से छू लिया
चाय का कप पकड़ते समय
तो
क्या हो गया
शोर मत करो
बहन की ज़िन्दगी का सोचो
धमका दिया गया।

हर चुभती छुवन की टीस
लिए
उम्र बढ़ती रही

बहाने से छुए जाने पर
हिम्मत ही नहीं जुटा पाई
चीखने की ,

धीमे विरोध पर
उपहास के साथ
समझाया गया

अब उम्र देखो अपनी
सोलह साल की
बच्ची नहीं हो।

कैसे कहा जाए कि
बेअदबी
हर उम्र में खटकती है
तन से पहले मन को

और
बुरा हर उम्र में
लगना चाहिए।

हम ही रिश्तों के लिए
अपनी बलि क्यों
चढ़ाते रहें!