चलना संग तुम भी: प्रार्थना राय

प्रार्थना राय
देवरिया

झूमकर मुझको गीत आज गाने तो दो
प्यार के दांव को आजमाने तो दो
प्यार के मोती जितने बिखरे हैं राहों में
इनको अदब से ज़रा उठाने तो दो

परखना क्या हमारी वफाओं को भला
रोक सका है कोई हवाओं को भला
स्याह रातों में चलना संग तुम भी, मगर
अपनी आँखों के दिए हमें जलाने तो दो

चहुंओर दिखेंगे यहां कई चेहरे हजार
भ्रम कई मिलेंगे यूं तो सुनहरे हजार
न भटको देखके सांवली सूरत हमारी
एतबार के गुल पहले खिल जाने तो दो

हादसों के किनारों पे मेरा घर है बना
यहां न खेलो कोई खेल तुम सियासत का
माना कि बन जाएंगे बहुत दुश्मन भी मेरे
मुश्किल ही सही मुझे सच सुनाने तो दो