साहित्य दर्द: डॉ. शबनम आलम By लोकेश नशीने - May 1, 2024 WhatsAppFacebookTwitterTelegramCopy URL डॉ. शबनम आलमअलीगढ़, उत्तर प्रदेश कभी-कभी कुछ दर्द ऐसे होते हैंसजदे में जाते हीआंसू बन, टपक पड़ते हैंये आंसू आंखों से नहींरूह के रोने पर निकलते हैंजो फर्श पर नहींसीधे अर्श पर पहुंचते हैं