आज हिमालय दिवस है, हम सब पड़े अचेत
सूख रहीं नदियाँ विकल, शेष रहेगा रेत
पूज्य हिमालय देवता, मात्र न पत्थर, नीर
पूछें संस्कृति जनक से, क्यों दुख रहा शरीर
हिमगिरि से क्या क्या लिया, दिया उन्हें क्या दान
पूछें अपने आप से, त्याग कपट, अभिमान
अतिदोहन की मार से, रहा हिमालय टूट
लेकर नाम विकास का, मची प्रकृत्ति की लूट
गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117, आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश- 226022
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