आँखों को जो सुकूं दे: प्रार्थना राय

प्रार्थना राय
ग्राम पोस्ट- गौरा
जनपद- देवरिया, उत्तर प्रदेश

कर रही हूं आपका इंतजार आने के लिए
दो थोड़ा साथ तुम बहार आने के लिए

वक्त साथ दे ना दे बस इतना समझ लिजिए
आँखों को जो दे सुकूं वो नजारे दीजिए

उम्र की सीमा रही ना हर किसी से मिल सकूं
एक मौका दीजिए कि दोस्ती मैं कर सकूं

हार और जीत में बस फासला इतना रहे
दिल यही बस चाहता है कि दूरियां ना दरमियां रहे

ज़िन्दगी की ओट पर बस गिर रही हैं बिजलियां
फिर से तुम आओ चमन में आ रही हैं सिसकियाँ

जी सकूं मैं सर उठा कर इक नया आयाम दो
इस तरह तुम चुपचाप रहकर भावों को ना विश्राम दो

जैसे चाँदनी पर हो चंद्रमा की पहरेदारी
ज़माने में सबसे ऊँची हो हमारी रिश्तेदारी

जीवन को संवारो ऐसे जैसे बगिया को संवारे माली
आप के अहसान से रह न सके प्रार्थना की झोली खाली