दोस्ती: डॉ निशा अग्रवाल

डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

दोस्ती खूबसूरत सा मिजाज़ है
दिलों की नजदीकियों सा अहसास है

ना रिश्ता है कोई, ना रिवाज़ है इसमें
ना वादे फरमान होते, ना कसमें होती इसमें

फिर भी जुड़ जाते दिलों के तार इसमें
एक दूजे से जुड़ जाती बस अहसासों की रस्में

ना जताते अहसान कभी ये बीते कल का
दर्द सहते खुश रहते ये अंदाज दोस्त दिल का

ना होती बोझ ये है, ना हैरान दोस्ताना
तभी तो फक्र करता है दोस्ती पे ये ज़माना

ना होता कोई धर्म, ना जाति और घराना
ये तो होता दिल से दिल का फ़साना

ना होती कोई माप, ना कोई पैमाना
ये तो है बस सम भावों का खज़ाना

तभी तो नाम देते हैं इसे हम दोस्ती का
तभी तो नाम देते हैं इसे हम दोस्ती का