हे ज्ञानदायिनी वर दो: सुजाता प्रसाद

सुजाता प्रसाद
स्वतंत्र रचनाकार
शिक्षिका सनराइज एकेडमी

मां विद्या का वरदान हमें दो
प्रज्ञा सहित कलमधार हमें दो
लगे ना हमें कोई राह कठिन
अज्ञानता का तमस हर लो

भव्य नव्य हो देश हमारा
वीणापाणि का वरद हस्त हो
सरल हृदय हो निर्मल मति दो
साहस शील भाव सहित दो

स्वर की देवी हे जगमाता
सुमधुर वाणी हमें दे दो
रंगों छंदों की सुर लहरी से
जीवन का नव गान हमें दो

तेरी ही कृपा से शारदा माता
मानव पढ़ लिख है पाता
हे ज्ञानदायिनी वर दो, वर दो
ज्ञान से ऐसे झोली भर दो

तेरी पूजन वंदन से हे माता
मूरख भी ज्ञानी बन जाता
छू लें हम गगन के तारे मां
ऐसी उड़ान हमें भी दे दो