कहानी की तरह: श्रेयसी वैष्णव ‘श्रेया’

श्रेयसी वैष्णव ‘श्रेया’

किसका किरदार यहां शोख़ कहानी की तरह
ख़ुशबूएँ हैं भी तो बस रात की रानी की तरह

चांदनी रात में बुझते हैं कई जलते दिए
नक्श सुब्ह-ओ को मिले उजड़ी जवानी की तरह

वो जो चिट्ठी में हमें रोज़ यहां मिलते थे
छोड़ के वो भी गए आंख के पानी की तरह

दिखते हैं लोग यहां पांव से ख़ुद को ढंकते
फिर भी जीते हैं वो ही हाकिम ए जानी की तरह

जो तज़ुर्बे हमें जीवन से सदा मिलते रहे
हमने सीखा है ये की ज़िंदगी ख़्वानी की तरह

मैं सही तू ही ग़लत बस यही झगड़ा रहा है
पेश आते हैं सभी दुश्मन ए जानी की तरह

ज़ख्म दे कर के मुझे उसने सिखाया है बहुत
मेरी चालाकियां उसकी ही निशानी की तरह