रोबोटिक शहर की एक रात: डॉ रंजना शरण सिन्हा

डॉ रंजना शरण सिन्हा
कवि, लेखक और अंग्रेजी की प्राध्यापिका डॉ रंजना शरण सिन्हा द्वैभाषिक समकालीन कवि हैं, जिनकी अंग्रेजी में 8 पुस्तकें तथा 50 शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। साहित्यिक उपलब्धियों के लिए इन्हें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम द्वारा ‘मदर नेचर’ कविता के लिए प्रशंसा-पत्र प्राप्त हो चुका है तथा इनकी कविताओं के जर्मन, अल्बानियन,रशियन, नेपाली एवं फारसी में अनुवाद हो चुके हैं। फिलहाल नागपुर में निवास।

रात की धुंधली रोशनी
इस रोबोटिक शहर को छूने का
असफल प्रयास करती है
चंद्रमा एक आदिम लालटेन-भर है
रोशनी का समंदर यह शहर
अपनी चकाचौंध से
चंद्रमा की धीमी चमक को
निगल जाता है

ये रात पता नहीं क्यों
रो रही है- भावनाओं की हवा
सड़कों पर लगे ओलिएंडर की झाड़ियों के ज़रिए
कुछ कहना चाहती है
फूलता, पिचकता, सिहरता
इन झाड़ियों का झुरमुट!

वाइनों और कारों की तेज़ रफ्तार
पैदल यात्रियों और खरीददारों की बेतहाशा दौड़
और चाहतों का बेरोक फैलाव
इस अजीबोगरीब चहल-पहल के बीच
तलाश है कुछ गुमशुदा चेहरों की

पन्ने फटते जा रहे हैं
इन वर्णाक्षरों को भला
कौन पढ़ना चाहता है?
कुछ यादें चली आती हैं-
एक वीरान बैंक्वेट हॉल में
बहुप्रतीक्षित मेहमानों की तरह!
एहसासों का एक लंबा सिलसिला-
क्या समय पीछे की ओर
कूद सकता है?